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शाबाश रविंद्र: #Corona काल में 13 वर्ष की नौकरी छोड़, Poly House से कमा रहे लाखों
ऊना। कहते हैं हिम्मत-ए-मर्दा, मदद-ए-खुदा। ऐसा ही एक उदाहरण है, ऊना (Una) जि़ला के कुठार कलां के रहने वाले रविंद्र शर्मा का। कोरोना संकटकाल के चलते 13 वर्ष तक नौकरी (Job) करने के उपरांत अपने घर लौटे रविंद्र शर्मा (Ravinder Sharma) ने हताश होने की बजाए पॉलीहाउस लगाने का निर्णय लिया। वह पॉलीहाउस में जरबेरा फूलों की खेती करना चाहते थे, लेकिन कोरोना संकट के मद्देनज़र बागवानी अधिकारियों ने उन्हें खीरे की खेती करने की सलाह दी। उनकी सलाह मानते हुए उन्होंने 2,000 वर्ग मीटर पॉलीहाउस में 5,000 खीरे के पौधे लगाए और अब उनकी हिम्मत, जुनून और मेहनत की फसल लहलहा रही है।
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अपनी सफलता के बारे में रविंद्र बताते हैं कि बागवानी विभाग के अधिकारियों की सलाह पर मैंने नवस्थापित पॉलीहाउस (Poly House) में खीरे की खेती शुरू की। अब फसल तैयार हो रही है, लेकिन स्थानीय बाज़ार में रेट कम होने के कारण मैं पंजाब में अपने खीरे बेच रहा हूं, जिसके अच्छे दाम मिल रहे हैं। पंजाब (Punjab) में खीरा फिलहाल 40 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। पौधे लगाने के 45 दिन बाद अब तक दो टन खीरे का उत्पादन हो चुका है। अगले दो माह में लगभग 25 टन पैदावार होने की उम्मीद है।
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पॉलीहाउस लगाने से पहले रविंद्र शर्मा ने लिया संरक्षित खेती का प्रशिक्षण
पॉलीहाउस लगाने के लिए बागवानी विभाग (Horticulture Department) ने उन्हें कुल लागत की 85 प्रतिशत सब्सिडी मुहैया करवाई। पॉलीहाउस के निर्माण पर कुल 22 लाख रुपए खर्च हुए, जिस पर विभाग ने उन्हें 17 लाख रुपए का अनुदान दिया। विभाग ने पॉलीहाउस लगाने से पूर्व रविंद्र शर्मा को पुणे में संरक्षित खेती का प्रशिक्षण (Training) प्रदान किया। रविंद्र शर्मा पॉलीहाउस में टपक सिंचाई का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे न सिर्फ पानी की बचत होती है, बल्कि पौधों को आवश्यकतानुसार, सही समय पर पानी उपलब्ध होता है।
विभाग ने की पूरी मदद
बागवानी विभाग से मिले सहयोग के बारे में रविंद्र शर्मा कहते हैं, संरक्षित खेती के लिए बागवानी विभाग से मुझे पूरी मदद मिली है। विभाग ने प्रशिक्षण के अलावा तकनीकी सलाह और 85 फीसद सब्सिडी (Subsidy) भी उपलब्ध करवाई। विभाग के अधिकारी निरंतर संपर्क में रहते हैं और समस्याओं का समाधान करने में त्वरित एवं पूरी सहायता करते हैं।
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क्या कहते हैं बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद ने बताया कि किसानों की सहायता के लिए विभाग कई योजनाएं चला रहा है। पुष्प क्रांति योजना के तहत संरक्षित खेती के लिए उच्च तकनीक वाले पॉलीहाउस लगाने के लिए वित्तीय मदद (Financial help) प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि संरक्षित खेती के अनेक लाभ हैं। इससे फसलों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ जाती है तथा किसी भी स्थान पर पूरा साल खेती संभव है। इसके अलावा बहुत कम क्षेत्र में फसलोत्पादन करके अच्छी कमाई की जा सकती है। इच्छुक किसान बागवानी विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए विभागीय अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।