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इस बार दशहरे पर बन रहे कई शुभ संयोग, इस मुहूर्त में खरीददारी से बढ़ेगी सुख-समृद्धि
अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा तिथि विजय मुहूर्त वाली होती है, इसलिए इस तिथि को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। साल 2021 में दशहरा 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी। चूंकि दशमी की उदयातिथि 15 अक्टूबर को है। इसलिए दशहरा का पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार दशमी तिथि पर श्रवण नक्षत्र में सर्वार्थसिद्धि योग, अभिभीज मुहूर्त और विजयी मुहूर्त का संयोग बन रहा है। इस मुहूर्त में दशहरा की पूजा करना उत्तम माना जाता है। इस मुहूर्त में पूजा करने के कई लाभ हैं।
कहते हैं कि इस मुहूर्त में खरीददारी से सुख समृद्धि बढ़ती है। दरअसल लंकापति रावण का वध कर भगवान राम ने दशहरे के दिन ही बुराई पर विजय हासिल की थी, इसलिए विजयदशमी के दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इसके साथ ही इस दिन लोग बच्चों का अक्षर लेखन, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ भी करवाते हैं।
दशहरे की पूजा विधि : दशहरे के दिन भगवान श्रीराम की परिवार व उनकी सेना समेत विधिवत पूजा करें। पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और प्रसाद का भोग लगा कर प्रभु को प्रणाम करें। इसके बाद इस दिन शस्त्र पूजा का भी विधान होता है। इसलिए जो भी शस्त्र आपके हों, उसे प्रभु के समक्ष रख कर उनकी पूजा करें। पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछा दें और सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़कर हल्दी और कुमकुम का तिलक लगांए और पुष्प अर्पित कर शमी के पत्ते शस्त्रों पर चढ़ा दें। इसके बाद शस्त्रों को प्रणाम करें और भगवान श्री राम का ध्यान करें और शमी के पेड़ की पूजा अवश्य करें। दशहरे के दिन बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा, धन की देवी लक्ष्मी और दिव्य स्वरूप में मां पार्वती की पूजा की जाती है। बंगाल में इस दिन देवी काली की पूजा का भी विधान है।