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राष्ट्रीय संदर्भ में लें निर्णय, जो देश की एकता अखंडता को मजबूत करने वाले हों: IAS प्रोबेशनर्स से बोले PM
अहमदाबाद। अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के दूसरे दिन पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंच कर सरदार पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद पीएम मोदी राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में शामिल हुए। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रोबेशनरी IAS अफसरों को संबोधित भी किया। अपने इस सम्बोधन के दौरान पीएम मोदी ने कश्मीर, अयोध्या, कट्टरता और पुलवामा समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। मोदी ने IAS प्रोबेशनर्स को संबोधित करते हुए कहा कि IAS अफसरों को सरदार साहब की सलाह थी कि देश के नागरिकों की सेवा अब आपका सर्वोच्च कर्तव्य है। पीएम ने कहा कि मेरा भी यही आग्रह है कि सिविल सर्वेंट जो भी निर्णय लें, वो राष्ट्रीय संदर्भ में हों, देश की एकता अखंडता को मजबूत करने वाले हों।
पुलवामा हमले का जिक्र कर विपक्ष पर किया परोक्ष वार
पीएम नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की दुहाई देते हुए राजनीतिक दलों से कहा कि मैं ऐसे राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि देश की सुरक्षा के हित में, हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति ना करें, ऐसी चीजों से बचें। अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देश विरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर, ना आप देश का हित कर पाएंगे और ना ही अपने दल का। इस दौरान पीएम मोदी ने पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए कहा कि जब हमारे देश के जवान शहीद हुए थे उस वक्त भी कुछ लोग राजनीति में लगे हुए थे। ऐसे लोगों को देश भूल नहीं सकता है।
पिछले दिनों पड़ोसी देश की संसद में जिस प्रकार पुलवामा के सत्य को स्वीकारा गया है,
उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है।
मैं ऐसे राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि, देश की सुरक्षा के हित में, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें, ऐसी चीजों से बचें। #NationalUnityDay pic.twitter.com/ioK7wJ8R8U
— BJP (@BJP4India) October 31, 2020
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पीएम ने कहा कि उस वक्त वे सारे आरोपों को झेलते रहे, भद्दी भद्दी बातें सुनते रहे। मेरे दिल पर गहरा घाव था। लेकिन पिछले दिनों पड़ोसी देश से जिस तरह से खबरें आई है, जो उन्होंने स्वीकार किया है, इससे इन दलों का चेहरा उजागर हो गया है। पीएम ने कहा, ‘जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बड़ा उदाहरण है।’