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शिमला। हिमाचल में वोकेशनल टीचरों (Vocational Teachers) की सेवाएं नियमित करने का सरकार कोई विचार नहीं रखती है। ऐसी कोई नीति सरकार के विचाराधीन नहीं है। यह जानकारी शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर (Education Minister Govind Thakur) ने हिमाचल विधानसभा (Vidhan Sabha) के बजट सत्र (Budget Session) के दौरान बड़सर हमीरपुर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल के सवाल के जवाब में दी। इंद्र दत्त लखनपाल ने पूछा था कि गत तीन वर्ष में 31 जनवरी 2021 तक वोकेशनल अध्यापकों के किन-किन श्रेणियों के कितने पद कहां-कहां पर भरे गए, इनका मानदेय कितना है। सरकार इसे बढ़ाने का विचार रखती है, यदि हां, तो कब तक, यदि नहीं, तो कारण। सरकार इन अध्यापकों की सेवाओं को नियमित करने के लिए नीति बनाने का विचार रखती है।
जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में चल रहे व्यवसायिक शिक्षा वाले विद्यालयों में गत तीन वर्ष में 31 जनवरी 2021 तक एग्रीकल्चर (Agriculture), ऑटोमोटिव, बीएफएसआई, हेल्थ केयर, आईटी/आईटीईएस, फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स (Physical Education and Sports), रिटेल, सिक्योरिटी, टेलीकॉम, टूरिज्म एंड हॉस्पिटोलिटी, मीडिया, अपेरेल्स मेड एप एंड होम फर्निशिंग, ब्यूटी एंड वेलनेस, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड हार्डवेयर और प्लंबर श्रेणी के 554 वोकेशनल अध्यापकों के पद भरे गए हैं। प्रदेश में विभिन्न ट्रेड के आउटसोर्स (Outsource) आधार पर नियुक्त वोकेशनल ट्रेनर/अध्यापकों को मानदेय के रूप में रुपये 15,000/- प्रतिमाह देना निर्धारित किया है तथा एक वर्ष की सेवा पूरी होने पर रुपये 500 की वार्षिक वृद्धि दी जानी निर्धारित है। इन अध्यापकों की सेवाओं को नियमित करने के लिए कोई नीति सरकार के विचाराधीन नहीं है।
जलशक्ति विभाग में वर्ष 2019-20 तक 2492 व 2020-21 में 31 अगस्त 2020 तक 402 कर्मचारियों को आउटसोर्स के माध्यम से रोजगार प्रदान किया गया है। इन कर्मचारियों को नियमित करने को लेकर भी सरकार विचार नहीं रखती है। यह जानकारी जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला और ठियोग के विधायक राकेश सिंघा के संयुक्त प्रश्न के जवाब में दी। जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि विभाग में आउटसोर्स पर रखे गए 989 कर्मचारियों को विभाग में मर्ज किया जाएगा। इस संबंध में प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के हजारों उपभोक्ताओं ने राज्य बिजली बोर्ड का 424 करोड़ रुपये का बिजली बिल नहीं चुकाया है। बिजली बिल नहीं चुकाने वालों पर शिमला और सोलन जिला के उपभोक्ता सबसे आगे हैं। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी के सवाल के लिखित जवाब में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान डिफाल्टर उपभोक्ताओं से 365 करोड़ और कट चुके कनेक्शन धारकों से 58 करोड़ रुपये का बकाया वसूला जाना है। प्रदेश के 180 होटल कारोबारियों से भी 1.96 करोड़ के बकाया बिजली बिल लेना अभी शेष है। उन्होंने बताया कि हजारों घरेलू, औद्योगिक व व्यावसायिक उपभोक्ता बोर्ड के डिफाल्टर हैं।
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