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राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में खामियों से जुड़ी याचिका पर भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल को नोटिस
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने चंडीगढ़- शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में इंजीनियरिंग से जुड़ी खामियों से जुड़ी जनहित याचिका में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इस बरसात की मार ना झेल पाने वाले इन राष्ट्रीय राजमार्गों को हुए नुकसान पर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की है। कोर्ट ने पाया कि बारिश से हुए भूस्खलन के कारण राजमार्गों को काफी नुकसान हुआ है और विशेष रूप से चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूमि के कटाव से बाधित हैं। इससे सामान्य जीवन में काफी व्यवधान आया है। इसलिए कोर्ट ने समस्या की तीव्रता को ध्यान में रखते हुए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया गया है।
45 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियर की शिकायत पर लिया कोर्ट ने संज्ञान
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियर की शिकायत पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है। श्यामकांत धर्माधिकारी की ओर से लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि पहाड़ों के अवैज्ञानिक कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। बिना अनुभव की इंजीनियरिंग से बनाई जा रही भूमिगत सुरंगें, सड़कें और पुलों से पहाड़ों की अनियोजित कटाई की जा रही है। सड़कों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है। कोर्ट को बताया गया कि हालांकि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है। लेकिन यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी खामी पाई जाती है तो हजारों मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।