-
Advertisement
उत्तरकाशी:अब सुरंग के ऊपर से खुदाई की तैयारी, 3 मजदूरों की हालत बिगड़ी
देहरादून। उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल (Silkyara Tunnel Tragedy In Uttarkashi) में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम फिर बंद हो गया है। शुक्रवार को अमेरिकी ऑगर मशीन को एक घंटे चलाने के बाद काम रोकना पड़ा, क्योंकि लोहे के सरियों में उलझने से मशीन के ब्लेड टूट गए। उसके बाद हाथों से खुदाई का काम शुरू हुआ। अभी भी मजदूरों तक पहुंचने के लिए 15 मीटर की खुदाई बाकी है। प्लान बी के रूप में अब सुरंग के ऊपर से खुदाई (Vertical Drilling) करने की तैयारी है। इस बीच, खबर है कि 13 दिन से टनल के अंदर फंसे 3 मजदूरों की हालत खराब हो गई है। रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें सिल्क्यारा सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर पहुंच गई हैं। बीआरओ के जवानों को कहा गया है कि वे ड्रिलिग मशीन को ऊपर पहाड़ पर पहुंचाएं। इसके लिए सड़क तैयार कर ली गई है। थोड़ी देर में यहां उच्चस्तरीय मीटिंग होगी, जिसमें वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर फैसला हो सकता है।
बचाव दल सुंरग के ऊपर पहाड़ी पर पहुंचे
ऑगर मशीन से सुरंग में हॉरिजेंटल (क्षैतिज) ड्रिलिंग चल रही थी, पर बार-बार मशीन सरिये के जाल में फंस रही है, जिसकी वजह से उसे पीछे करना पड़ता है। वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर अंतिम फैसला सतलज जल विद्युत निगम और (SJVN) ऑयल एंड नैचुरल गैस कोऑपरेशन के अधिकारी ही लेंगे। ड्रिलिंग के लिए इंजीनियरों की टीम पहाड़ी पर पहुंच गई है। जैसे ही उन्हें हरी झंडी मिलेगी, वे वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू कर देंगे।
यह भी पढ़े:जब मजदूरों को बचाने के लिए पाइप में गैस कटर लेकर घुसे NDRF के जवान
हाथ से खुदाई की योजना
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम हाथ से ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रही है। लगातार आ रही बाधाओं के कारण ऑगर मशीन से ड्रिलिंग और मलबे के बीच स्टील का पाइप डालने (Insertion Of Steel Pipe) का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। श्रमिकों को इस पाइप से बाहर निकालने की योजना है। ऐसे में हाथ से ड्रिलिंग करने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसमें समय अधिक लगता है।
यह भी पढ़े:उत्तरकाशी में फंसे 41 मजदूरों के लिए महाकाल मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना
12 नवंबर से फंसे हैं मजदूर
चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था। उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। इन 41 मजदूरों के बाहर निकलने का इंतजार पूरा देश कर रहा है, लेकिन बचाव अभियान में आ रही एक के बाद दूसरी मुश्किलों से सभी की सांसें अटकी हुई हैं। कभी लोहे का जाल, तो कभी सरिया और गर्डर तो कभी पत्थर निकासी टनल के काम में बाधा बन रहे हैं।