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…जब आला अधिकारियों की सैलरी रूकी तो किया हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल
Last Updated on December 27, 2022 by sintu kumar
शिमला। शिक्षा विभाग (Education Department) के उच्च अधिकारियों ने कोर्ट के आदेशानुसार रूकी सैलरी को बहाल करने के लिए हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) में आवेदन दायर किया है। उल्लेखनीय है कि अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग के सचिव व निदेशक उच्च शिक्षा का वेतन रोकने के आदेश जारी किए थे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने जगरूप चंद कटोच व अन्यों द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए थे। कोर्ट ने 9 दिसंबर 2022 को पारित आदेशों में स्पष्ट किया था कि प्रार्थियों के वित्तीय लाभ (Financial Benefits) 48 घंटे के भीतर अदा कर दिए जाए अन्यथा उनकी सैलरी स्वतः कुर्क हो जायेगी। मामले पर सुनवाई 13 दिसम्बर के लिए निर्धारित की गई थी। फिर भी उच्च शिक्षा विभाग प्रार्थियों के सेवा से जुड़े वित्तीय लाभों को अदा करने में नाकाम रहा। जिस कारण न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेशों की अनुपालना के लिए मामले पर सुनवाई 12 जनवरी के लिए निर्धारित कर दी थी।
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अनुपालना याचिका के अनुसार प्रार्थीगण निजी महाराजा संसार चंद मेमोरियल डिग्री कॉलेज कांगड़ा (Maharaja Sansar Chand Memorial Degree College Kangra) में बतौर प्रवक्ता अपनी सेवाएं दे रहे थे। 18 अक्टूबर 2006 को इनकी सेवाओं को राज्य सरकार द्वारा इस कॉलेज को टेकओवर करने के पश्चात अपने अधीन ले लिया था। कॉलेज को टेकओवर करने के पश्चात उन्हें दिए जाने वाले वेतनमान को निम्नतम स्तर पर निर्धारित किया गया। जिसके खिलाफ प्रार्थियों ने तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर की। तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा प्रेमलता थापर मामले में दिए गए फैसले के अनुरूप प्रार्थियों को निर्धारित उच्च वेतनमान दिए जाने के आदेश जारी किए थे।
मगर राज्य सरकार उक्त मामले में अपील के लंबित होने के कारण प्रार्थियों को दिए जाने वाले वेतनमान देने में नाकाम रही। अपील पर 30 जून 2022 को फैसला आ गया। लेकिन प्रार्थियों को दिए जाने वाला वेतनमान सरकार की अपील के खारिज होने के पश्चात भी नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अवहेलना का मामला पाते हुए 9 दिसंबर को दोनों अधिकारियों के वेतन (Salary) को रोकने के आदेश पारित किए थे। मगर दोनों अधिकारी 48 घंटो के भीतर प्रार्थियों के वेतनमान से जुड़े वित्तीय लाभों को देने में नाकाम रहे। कोर्ट द्वारा सेलरी रोके जाने के बाद शिक्षा विभाग जागा और प्रार्थियों के वित्तीय लाभ देने के लिए राजी हो गया।
मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड को 280 करोड़ लौटने के मामले पर सुनवाई 12 जनवरी
मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटने से जुड़े मामले पर सुनवाई 12 जनवरी को होगी। नई सरकार बनने के कारण प्रदेश हाईकोर्ट में 280 करोड़ रुपए की अग्रिम प्रीमियम राशि मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड को वापिस करने से जुड़े मामले पर सुनवाई 12 जनवरी के लिए टल गई। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी.थोपन.पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि वापिस करने के आदेश दिए थे। सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी। अतः सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी थी। सरकार ने फीस वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी परंतु कोर्ट ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।