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ओमिक्रॉन के लेकर आई ये रिपोर्ट दुनिया भर में टेंशन बढ़ाने वाली है
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर दक्षिण अफ्रीका की एक रिपोर्ट दुनिया का टेंशन बढ़ाने वाली है। दक्षिण अफ्रीका में नवंबर के आखिरी हफ्ते में ओमिक्रॉन वायरस की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद से इस पर रिसर्च का दौर शुरू हो गया है। दक्षिण अफ्रीका के शुरुआती डेटा के आधार पर गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कई बातें सामने आई हैं। हालांकि, इसकी समीक्षा अभी नहीं हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा और बीटा की तुलना में तीन गुना ज्यादा रिइंफेक्शन फैला सकता है। यानी जो लोग कोविड-19 से पहले संक्रमित हो चुके हैं, उनके भी फिर से इंफेक्ट होने का खतरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका में 28 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे, इनमें से 35,670 ऐसे थे जिन्हें दोबारा कोरोना हुआ था। बता दें कि अगर कोई शख्स कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के 90 दिनों के बाद फिर संक्रमित हो जाता है तो उसे रिइंफेक्शन कहते हैं।
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इधर, ओमिक्रॉन को लेकर कई वैज्ञानिक पहले भी कह चुके हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन हैं जिसकी वजह से ज्यादा संक्रामक हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका में जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है और इस पर वैक्सीन का असर पूरी तरह से नहीं होता है। हालांकि, वैक्सीन अब भी खतरनाक बीमारी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर रही है।
वहीं, कोरोना के इस नए रूप को लेकर अभी जीनोम सीक्वेंसिंग चल रही है। गंभीर बात यह है कि दक्षिण अफ्रीका में अब तक ओमिक्रॉन केसों की कुल संख्या को लेकर भी कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है। हालांकि, दक्षिण अफ्रीका में पिछले कुछ समय से कोरोना केस के दोगुने मामले सामने आ रहे हैं और हर रोज लगभग आठ से साढे़ आठ हजार के आसपास कोरोना केस के मामले आ रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों ने पहले कहा था कि उन्हें ओमिक्रॉन के मामलों में हल्की बीमारियां मिली हैं। लेकिन वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अभी यह तय करना जल्दबाजी होगी कि क्या आगे जाकर ओमिक्रॉन केवल सामान्य दिक्कतों का कारण बनेगा। ओमिक्रॉन के लक्षण काफी हल्के थे क्योंकि ज्यादातर मामले कम आयु वर्ग के लोगों में रिपोर्ट किए गए थे लेकिन अब ज्यादा उम्र के लोग भी इस वेरिएंट के शिकार बन रहे हैं।
KRISP जीनोमिक्स इंस्टीट्यूट के संक्रामक रोग विशेषज्ञ रिचर्ड लेसेल्स ने कहा कि ये वेरिएंट कितना घातक हो सकता है, इसका अंदाजा इसलिए भी लगाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें कोरोना वैक्सीन लग चुकी है। ऐसे में इन लोगों की इम्युनिटी बेहतर हो चुकी है और इससे ये पता लगाना मुश्किल हुआ है कि कोरोना का नया वेरिएंट कितना खतरनाक है।