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पी मित्रा मामला: HC ने खारिज की वॉयस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका
Last Updated on June 24, 2020 by Deepak
शिमला। पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा से जुड़े मामले में पंचकूला के कारोबारी विनोद मित्तल के वॉयस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट (Voice sample and polygraph test) करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh Highcourt) ने खारिज कर दिया। क्या आरोपी को वॉइस सेंपल देने के लिए कानूनन बाध्य किया जा सकता है या नहीं, यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित था। इस कारण प्रदेश हाई कोर्ट ने विनोद मित्तल के वॉइस सेंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने के निचली अदालत के आदेशों पर रोक लगा रखी थी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सवैधानिक पीठ द्वारा पारित फैसले के पश्चात यह स्पष्ट हो गया कि जंनहित के दृष्टिगत आरोपी को वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ जैसे टेस्ट के लिए बाध्य किया जा सकता है। निजता के मौलिक अधिकार के कारण न्यायालय को इस तरह के आदेश पारित करने से नहीं रोका जा सकता। हाई कोर्ट के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने याचिका खारिज (Petition dismissed) करते हुए प्रार्थी को आदेश दिए कि वह जांच अधिकारी द्वारा तय स्थान व समय पर वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट देने के लिए हाजिर हो।
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यहां जानें क्या है पूरा मामला
उक्त कथित भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) पी मित्रा भी आरोपी है। करीब 9 साल पुराने इस मामले में विजिलेंस ने केस दर्ज किया है। विजिलेंस के पास आरोपियों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है। इसमें पी मित्रा के अलावा विनोद मित्तल और अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत की आशंका जताई गई है। इसकी पुष्टि के लिए वॉयस सैंपल के साथ पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाना है। गौरतलब है कि हिमाचल में गैर हिमाचलियों को भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की अनुमति लेना जरूरी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 मार्च 2011 को आरोपी विनोद मित्तल ने राजस्व के आला अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 5 लाख रुपए लेकर शिमला आया। परन्तु उसे पुराने बस अड्डा शिमला में विजिलेंस द्वारा पकड़ लिया गया था। जांच के दौरान विजिलेंस ने आरोपियों की आपसी बातचीत बारे पुख्ता सबूत इकट्ठे किए और उन्हें साबित करने के लिए आरोपी विनोद मित्तल के वॉइस सेंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत के लिए निचली अदालत में आवेदन किया था। जिसे निचली अदालत ने स्वीकारते हुए विजिलेंस को विनोद मित्तल का वॉइस सेम्पल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने की अनुमति दे दी थी।