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पल्लवी घोष ने बहादुरी दिखाते हुए कोठों से कई लड़कियों को किया रेस्क्यू
महिलाएं (Women) आज पुरुषों से कम नहीं हैं। यह जरूरी नहीं कि आज के समय में हैरतअंगेज कारनामे सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं मगर महिलाएं आज बहादुरी का काम कर सकती हैं। चलिए आज हम आपको एक ऐसी ही बहादुर महिला पल्लवी घोष (Pallavi Ghosh) के बारे में बताते हैं। पल्लवी घोष बचपन से ही लड़का-लड़की में होने वाले भेदभाव से अकसर चिढ़ जाया करती थी। यही कारण रहा कि उसने अपनी एजुकेशन के लिए जेंडर स्टडी को चुना। उसने अपनी स्टडी में महिलाओं के संबंध में बारीकी से पढ़ा। इसी के साथ पुरुषों को भी समझा। यही नहीं पल्लवी घोष ने वेश्यावृत्ति, बंधुआ मजदूरी, ड्रग्स, अवैध आर्म्स, अंग बेचने वाले रैकेट के बारे में जानकारी जुटाई और बच्चों को बचाने के लिए एक जंग में कूद गई। बहादुर पल्लवी घोष तब से लेकर अब तक करीब सात हजार बच्चों को तस्करों के चंगुल से बचा चुकी हैं। इसके लिए उसने अपना जीवन खतरे में डाल लिया पर इसका जज्बा नहीं छोड़ा। इस कारण उसे कई बार चोटें भी आईं। कई दिन घर से दूर रहना पड़ा। अपना हुलिया बदलना पड़ा। वहीं कई अपनी इच्छाओं को भी तिलांजली दे दी मगर इस काम से पीछे नहीं हटीं।
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बस उसे सुकून ये है कि चार माह की दुधमुंही बच्ची (Milk baby) से लेकर युवती तक कई जानों को दलदल से निकाल लाई। पल्लवी घोष मानव तस्करी पर लोगों को समय-समय पर जागरूक करती रहती हैं। इसके लिए उसने बाकायदा एक वर्कशॉप भी चलाई है। पल्लवी घोष का जन्म होजाई जिले के लुमडिंग (Lumding) में हुआ था। हालांकि वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल की रहने वाली है मगर उसकी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुई। वर्तमान में वह बंगलूरू में रह रही है। जब वह मात्र 16 वर्ष की थी तो उसे यह पता था कि सेक्स वर्कर क्या होता और वेश्यावृत्ति क्या होती है। उसे यह भी इल्म था कि इस काम में कोई अपनी मर्जी से नहीं आता। वहीं पल्लवी जब कोलकाता गई तो वहां वह एक व्यक्ति से मिली।
उसने उसे बताया कि उसकी बेटी मिसिंग (Missing) है। मैंने उसे बहुत खोजा मगर पता नहीं चल पा रहा है। थाने में गया तो सिपाही ने भगा दिया। उसने तो यहां तक कह दिया कि तुम्हारी बेटी किसी के साथ भाग गई होगी। इस घटना ने पल्लवी के मन पर गहरा प्रभाव डाला और वह वहां से लौट आई। मगर हर वक्त उसकी आंखों के सामने उस व्यक्ति का चेहरा घूमता रहता। तब उसने उस गुम हुई लड़की को ढूंढना शुरू कर दिया। तब उसे पहली बार ह्यूमन ट्रैफिकिंग के बारे में पता चला। वहीं वेश्यावृत्तिए बंधुआ मजदूरी, ड्रग्स, अवैध आर्म्स, अंग बेचने वाले रैकेट के बारे में भी वह तभी समझ सकी। उसकी शुरुआती पढ़ाई असम में हुई। इसके बाद वह दिल्ली (Delhi) आ गई और दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले ली। मगर उसे यह नहीं पता था कि आगे वह क्या करेगी। उसने ग्रेजुएशन किया और उसके जेंडर स्टडी के लिए बेंगलुरू चली गई। वहां उसे नौकरी भी लग गई मगर उसने उसे छोड़ दिया।
उसे लगता था कि मानव तस्करी से वह लड़कियों को बचा सकती थी। इसलिए वह वापस दिल्ली आ गई। वह दिल्ली में एक संस्था के लिए काम करने लगी। जब उसने रिसर्च की तो उसे पता चला कि पश्चिम बंगाल की हजारों लड़कियों को जीबी रोड में बेच दिया जाता है। ये लड़कियां एक समुदाय विशेष की होती हैं। एक बार वह जीबी रोड गई। वहां कोठा नंबर 64 में लड़कियों को रखा गया था। वह उस दौरान रेड टीम में शामिल हो गई। इस दौरान रेड टीम के कई ऑफिसर पिट गए लेकिन वह बच गई। उसने उन्हें बताया कि वह किसी को खोजने के लिए आई है, इसलिए उन्होंने उसे कुछ भी नहीं कहा। वहां उसने कई लड़कियों को रेस्क्यू किया (rescued the girls) । उसने अलग-अलग संस्थाओं में करते कई बच्चों को बचाया है। इनमे 70 फीसदी लड़कियां थीं। एक बार उसने जीबी रोड (G. B. Road) में एक टनल तोड़कर लड़कियों बचाया। इन पर बहुत ही अत्याचार किए गए थे। जब भी वह जीबी रोड जाती तो बंगाली लड़कियां गायब हो जाती थीं। पल्लवी जब 12वीं में पढ़ती थी तो उसके पापा का निधन हो गया था। मां और उसकी बड़ी बहन ने उसका हमेशा सुपोर्ट किया। उसने एक रेड के बारे में बताया कि एक 13 साल की लड़की को पश्चिम बंगाल (West Bengal) से लाकर दिल्ली में बेच दिया गया था। लड़की के पिता ने थाने में उसकी रिपोर्ट लिखवाई थी। उसने लड़को को ढूंढना शुरू कर दिया।
पहले उसे कमला मार्केट (Kamla Market) में खोजा गया मगर वह नहीं मिली। वह जीबी रोड में भी नहीं मिली। इसके लिए सात-आठ रेड कीं। इसके बाद वह सीलमपुर गई और रात को रेड की। तीसरी रात वह लड़की कचरे के डिब्बे में मिली। इस लड़की साथ बहुत बुरा सुलूक किया गया था। हर रोज इस लड़की को दस-बारह लोगों को परोसा था। इसके मन पर भी गहरी चोट लगी थी। वर्ष 2016-17 में एक कोठा केवल वर्जिन लड़की रखने का दावा करता था। एक मामले में एक वर्जिन लड़की भी एचआईवी पॉजिटिव पाई गई। वह गर्भवती भी हो गई। उसे कोठे वालों ने मार डाला। इस कोठे से भी उसने कई लड़कियों को छुड़वाया। वहीं झारखंड की खूंटी में एक लड़की पर बहुत अत्याचार हुए। उसे बहुत बुरी तरह से पीटा गया था। यहां तक सिर की तीन हड्डियां भी टूट गई थीं। सिर में कीड़े पड़ गए थे। उसने उसे बचाकर अस्पताल में भर्ती करवाया। वहीं नोएडा में चार माह की बच्ची को दुबई के एक शेख को देने का सौदा हो गया था। इसके बदले में लड़की मां को आठ लाख रुपए दिए जा रहे थे। वह वहां शेख की नौकरानी बनकर पहुंच गई। वहां का कंपाउडर खुद डॉक्टर बताकर नर्स के साथ मिलकर बच्चों को बेचता था। जब उसने उस बच्ची को बताया तो उसे पता चला कि उस महिला के छह बच्चे हुए थे, जिनमें से पहले वह दो को बेच चुकी है। उसने बताया कि एक बार वह ट्रेनिंग में गोवा गई थी। वहां एक फाइव स्टार होटल से 50 लड़कों को रेस्क्यू कराया गया था। इसी तरह असम के कुछ स्कूलों में लड़कों से बात हुई। उन लड़कों में से 100 में से 90 ने बताया कि उनके साथ यौन शोषण हुआ। वहीं इस काम के लिए उसे गांव के लोगों से भी ताने सुनने पड़े। मगर धीरे-धीरे वे सभी उसके काम को समझ गए। वहीं उसके पति अनिकेत ने भी उसकी सुपोर्ट की। उसने बताया कि केवल राज्यों से ही नहींए बल्कि लड़कियों की ट्रैफिकिंग कर विदेश भी भेजा जा रहा। मणिपुर, मेघालय, मिजोरम से लड़कियों को लाया जाता है। थोड़ी ग्रूमिंग करके कोरियाए मलेशिया भेजा जाता है।पल्लवी घोष ने मानव तस्करी से लड़कियों को बचा कर समाज सेवा की है। उसने कोठों से कई लड़कियों को बचाया और उनका सही दिशा में मार्ग दर्शन किया। इस काम के लिए उसकी माता और पति ने भी सुपोर्ट किया।