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साहब! स्कूल में अध्यापकों की तैनाती कर दें, हमारे बच्चों के भविष्य का सवाल है
किसी भी सरकार या प्रशासन के लिए इससे बड़ी शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि अभिभावकों को स्कूल में अध्यापकों की कमी के चलते जिला के सबसे बड़े अधिकारी का सामने फूट-फूट कर रोना पड़ा हो। ताकि उनके बच्चे जिस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं वहां पर अध्यापकों की तैनाती हो सके। मामला हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला के छुद्रा स्कूल का है। हम सभी जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की कमी सदा ही रही है। बेशक सरकार ये दावे कर लें कि हम हजारों शिक्षक तैनात करने वाले हैं लेकिन असल हालत से सभी वाकिफ है। अमूमन शहर व कस्बों के स्कूलों में तो सभी विषयों शिक्षक तैनात होते हैं लेकिन दूरदराज के इलाकों का क्या …जहां पर प्राइवेट स्कूल नहीं है और सरकारी स्कूलों में तो अध्यापक ही नहीं या फिर दुर्गम इलाका होने की वजह से वहां पर कोई अध्यापक जाने से कतरा रहा हो।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला छुद्रा में टीचर नहीं
बहरहाल आज सलूणी उपमंडल की राजकीय प्राथमिक पाठशाला छुद्रा में अध्यापकों के रिक्त पद भरने के लिए आज अभिभावक डीसी चंबा के पास पहुंचे। स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में चंबा पहुंचे अभिभावकों ने छुद्रा स्कूल में अध्यापक भेजने की गुहार लगाई। अपने बच्चों के भविष्य को अंधकार में देख ये अभिभावक डीसी के सामने फूट-फूट कर रो पड़े। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में अध्यापकों को पद कुछ समय से नहीं बल्कि लंबे समय से पद रिक्त हैं। जिस कारण उनकके बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। हाल ये है कि अध्यापक ना होने से मजबूरन कई छात्र स्कूल से पलायन भी कर चुके हैं। वर्तमान में इस स्कूल में 22 छात्र अध्ययनरत हैं और 18 मई से छात्रों ने स्कूल जाना भी बंद कर दिया है। अभिभावकों की बात सुनकर डीसी अपूर्व देवगण से स्कूल में अध्यापकों की तैनाती का आश्वासन दे दिया है।
जाहिर है स्कूलों में अध्यापकों का कमी की समस्या केवल एक जिला की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है। खास तौर पर दुर्गम इलाकों के लगभग हर स्कूल में ये कमी देखी जाती है। कुछ दिनों पहले चंबा जिला के एक स्कूल के बच्चों को अध्यापकों की तैनाती के लिए चक्का जाम करना पड़ा था। इस सभी घटनाओं को देखते हुए शिक्षा विभाग को स्कूलों में अध्यापकों की कमी को गंभीरता लेना चाहिए।
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