-
Advertisement
हिमाचल: सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को दी जा रही सुविधाएं नहीं होंगी बंद
Last Updated on September 1, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल में सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों (Disabled Children) को दी जा रही सुविधाएं बंद नहीं होंगी। यह भरोसा प्रदेश सरकार ने हिमाचल हाईकोर्ट को दिलाया है। सरकार की तरफ से बताया गया कि शिमला के पोर्टमोर बालिका विद्यालय एवं नाहन, नगरोटा बगवां और जोगिंदरनगर स्थित बालकों के आवासीय विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों को मिल रही मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल (Free Education and Hostel) में रहने. खाने की सुविधा को बंद नहीं किया जाएगा। हिमाचल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उमंग फाउंडेशन (Umang Foundation) के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव द्वारा इस मामले में चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सैयद को लिखे गए पत्र को जनहित याचिका मानकर आज केंद्र सरकार के अलावा राज्य के मुख्य सचिवए शिक्षा विभाग एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिवए सामाजिक कल्याण विभाग के निदेशक और समग्र शिक्षा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
यह भी पढ़ें:SC का आदेश, प्राइवेट स्कूल के टीचर्स को भी मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ
खंडपीठ में चीफ जस्टिस के साथ न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ भी शामिल थीं। केंद्र सरकार द्वारा ग्रांट बंद कर दिए जाने के बाद इन स्कूलों से दिव्यांग बच्चों को हटाने के लिए राज्य सरकार ने प्रिंसिपलों को आदेश जारी कर दिए थे। सरकार के आदेश से चारों स्कूलों के लगभग 47 दिव्यांग बच्चे प्रभावित हो रहे थे। प्रदेश सरकार (Himachal Govt) की ओर से हाईकोर्ट में महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने आश्वासन दिया कि सरकार दिव्यांग बच्चों को दी जा रही सुविधाओं को बंद नहीं करेगी। इस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर के जवाब दाखिल करने के आदेश दिए।
दिव्यांग बच्चों को 2011 से मिलनी शुरू हुई थी सुविधा
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित पत्र में कहा था कि शिमला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बालिका स्कूल पोर्टमोर में 11 दिव्यांग बालिकाएं पढ़ रही हैं। इसके अतिरिक्त नाहन, नगरोटा बगवां, और जोगिंदर नगर में बालकों के वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में हॉस्टल एवं पढ़ाई की सुविधा अनेक दिव्यांग बच्चों को मुफ्त मिल रही है। उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि वर्ष 2011 में उनकी जनहित याचिका का परिणाम था कि दिव्यांग बच्चों को इन 4 स्कूलों में हॉस्टल में निशुल्क रहकर पढ़ने की सुविधा सरकार ने दी थी। अब सरकार ने अचानक यह सुविधा बंद कर दी है और तर्क यह है कि केंद्र सरकार से इस के लिए धन मिलना बंद हो गया है।
11 सालों से दी जा रही सुविधा को बंद करना दिव्यांगों के साथ अन्याय
अजय श्रीवास्तव ने पत्र में कहा कि पिछले 11 वर्षों से दिव्यांग बच्चों को हॉस्टल में रहने खाने के साथ पढ़ाई (Study) की सुविधा मुफ्त दी जा रही थी। इसे अचानक बंद किया जाना उनके साथ अन्याय है। भविष्य में भी अब दिव्यांग बच्चे इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाएंगे। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से प्रार्थना की की सरकार को यह सुविधा बंद न करने के आदेश दिए जाएं। उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चे सरकार के फैसले से सदमे में हैं क्योंकि उन्हें अब अंधेरी सुरंग में धकेल दिया गया है।
दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए लाइब्रेरी की सुविधा नहीं
उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि दिव्यांग बच्चों को निशुल्क हॉस्टल और पढ़ाई की सुविधा दे रहे चारों स्कूलों में दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए सुगम्य में लाइब्रेरी की सुविधा भी नहीं है। उन्हें टॉकिंग सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर, ई-बुक्स, डेज़ी प्लेयर, ब्रेल टाइपिंग मशीन और अन्य सुविधाएं भी दी जाएं। इसके अतिरिक्त इन स्कूलों में मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की व्यवस्था भी नहीं है।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group