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पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ियों के डिब्बों की संख्या में होता है काफी अंतर, क्यों…यहां जानें इस सवाल का जवाब
Last Updated on February 19, 2022 by sintu kumar
आपने कई बार ट्रेन (Train) में सफर किया होगा या फिर ट्रेन और मालगाड़ियों (Goods Trains) को आते-जाते देखा होगा। आपने कभी इनके डिब्बों की गिनती की है। क्या आपको पता है पैसेंजर और मालगाड़ियों के डिब्बों की संख्या में काफी अंतर होता है। आज इसी सवाल के जवाब को हम आपको बताते हैं….
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लूप लाइन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए ट्रेन की लंबाई
सबसे पहले आपको ये बता दें कि भारतीय ट्रेनों की लंबाई, लूप लाइन की लंबाई और रेलवे प्लेटफॉर्म (Railway Platform) की लंबाई पर निर्भर करती है। लूप लाइन का मतलब है, अप या डाउन में मेन लाइन (Main Line) के अलावा जो अतिरिक्त लाइनें होती हैं। ट्रेन की लंबाई किसी भी हाल में लूप लाइन की लंबाई से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इसे लूप लाइन में फिट होना होता है। प्लेटफॉर्म पर रुकने वाली ट्रेनें लूप लाइन में फिट होंगी, तभी मेनलाइन तक पहुंचने वाली दूसरी ट्रेन आराम से गुजर सकेगी। दुर्घटनाओं से बचने के लिए दूसरे को रास्ता देना चाहिए। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्लेटफॉर्म से लंबा नहीं होना चाहिए, क्योंकि ट्रेन के सभी डिब्बे (All Compartments of Train) प्लेटफॉर्म पर आसानी से पहुंच होनी चाहिए।
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यह है डिब्बों में अंतर की वजह
भारतीय रेलवे में, लूप लाइन की मानक लंबाई लगभग 650 मीटर होती है, जिसमें ट्रेन के फिट होने के लिए ट्रेन की लंबाई 650 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक औसत कोच की लंबाई लगभग 25 मीटर होती है, इस वजह से कुल 650 मीटर में ज्यादा से ज्यादा 24 कोच और एक इंजन को आराम से समायोजित किया जा सकता है, इसलिए पैसेंजर ट्रेनों (Passenger Trains) में अधिकतम 24 कोच होते हैं। अब बात करें मालगाड़ियों की तो हर यात्री प्लेटफॉर्म पर गुड्स ट्रेनें नहीं रुकतीं। ये उन चुनिंदा स्टेशनों पर ही रुकती हैं, जहां से माल लोडिंग-अनलोडिंग की सुविधा हो। उन स्टेशनों के हिसाब से देखें तो इनकी लंबाई भी लूप लाइन की लंबाई से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन एक मालगाड़ी के वैगनों की लंबाई लगभग 11 से 15 मीटर होती है, एक रैक में वैगन बक्सों की लंबाई के आधार पर अधिकतम 40 से 58 तक होते हैं।