-
Advertisement
हाईकोर्ट का हिमाचल प्रदेश वाटर सेस विधेयक पर प्रदेश व केंद्र सरकार को नोटिस
शिमला। हिमाचल प्रदेश वाटर सेस विधेयक 2023 के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। प्रतिवादियों को 25 अप्रैल तक याचिका का जवाब दाखिल करने के आदेश जारी किए गए है। हिमाचल प्रदेश वाटर सेस विधेयक और इसके नियम 2023 और राज्य सरकार की 16 फरवरी को जारी अधिसूचना को जीएमआर बजोली होली पनबिजली परियोजना ने याचिका दायर कर चुनौती दी है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में पनबिजली परियोजना को बढ़ावा देने के लिए निजी कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित की थी। इसके तहत परियोजना को बनाना, चालू करना और उसके बाद हस्तांतरण किया जाना शामिल था।
जीएमआर बजोली होली पनबिजली परियोजना ने दायर की याचिका
22 जून 2006 को सरकार ने कंपनी को चंबा के बजोली होली में 180 मेगावाट का प्रोजेक्ट आवंटित किया था। उसके बाद कंपनी ने परियोजना की कुल लागत की 50 फीसदी 82.06 करोड़ रुपये की अपफ्रंट राशि राज्य सरकार के पास जमा करवाई। 29 मार्च 2011 को कंपनी ने अपफ्रंट राशि के तौर पर दोबारा 41.3 करोड़ रुपये जमा करवाए। उसके बाद 15 फरवरी 2023 को राज्यपाल ने वाटर सेस अध्यादेश पारित किया। अगले ही दिन सरकार ने वाटर सेस के बारे में अधिसूचना जारी कर दी। याचिका में दलील दी गई कि 24 फरवरी 2023 को पनबिजली परियोजना एसोसिएशन ने सीएम को प्रतिवेदन किया था। लेकिन सरकार ने हिमाचल प्रदेश वाटर सेस विधेयक 2023 पारित कर दिया। आरोप लगाया गया है कि पनबिजली परियोजना पर वाटर सेस लगाया जाना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है।
राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने लगाया सेस
आर्थिक तंगी से जूझ रही हिमाचल सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए पन बिजली उत्पादन पर वाटर सेस लागू कर दिया है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर राजस्व जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन पर पानी पर सेस लगाने का फैसला लिया है। प्रदेश में छोटी-बड़ी करीब 175 पनबिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस से सरकार के खजाने में हर साल करीब 700 करोड़ रुपये जमा होंगे। मामले पर सुनवाई 25 अप्रैल को निर्धारित की गई है।