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India-Chian विवाद पर बोले तिब्बत की निर्वासित सरकार के PM- लद्दाख भारत का हिस्सा, सीमा पर शांति जरूरी
मैक्लोडगंज। भारत (India) और चीन (China) के दरमियान लद्दाख में चल रही तनातनी के बीच तिब्बत की निर्वासित सरकार (Exile Government of Tibet) के पीएम लोबसंग सांगेय (Lobsang Sangay) ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान लोबसंग सांगेय ने कहा कि लद्दाख (Ladakh) भारत का अंग है। उन्होंने बताया कि हम हमेशा से यह मानते रहे हैं कि लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम भारत के अंग हैं। पीएम सांगेय का बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब तिब्बत की निर्वासित सरकार के मौन को लेकर सवाल उठने लगे थे।
चीन वहां मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करता रहा है
उन्होंने अपने मौन को लेकर उठते सवालों पर कहा कि दलाई लामा पिछले 60 साल से लगातार अंतरराष्ट्रीय फोरम में चीन के खिलाफ बोलते आए हैं। चीन के तिब्बत पर कब्जा कर लेने के बाद हम भी कठिनाई में हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद ही दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर तनाव उत्पन्न हुआ। तिब्बत के निर्वासित सरकार के पीएम ने आगे कहा कि तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन वहां मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करता रहा है। इसकी वजह से हम धर्मशाला में रह रहे हैं।
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भारत कभी आक्रामक नहीं रहा है, वह डिफेंड कर रहा है
उन्होंने दलाई लामा को भारत का मेहमान बताते हुए कहा कि उनका हमेशा से यह मानना रहा है कि तिब्बत को शांति का शस्त्र बनाना चाहिए। तिब्बत के निर्वासित सरकार के पीएम ने कहा कि हमारी सीमाएं पहले सैनिक रहित थीं। सीमाओं को फिर से सेना रहित किया जाना चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप नहीं करना चाहिए। उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति को जरूरी बताते हुए कहा कि निर्धारित सीमा को ही डिफेंड करना चाहिए। भारत कभी आक्रामक नहीं रहा है। वह डिफेंड कर रहा है, जिसका हक सबको है।