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पुलिस ने रोकी भूमि अधिग्रहण प्रभावितों की रैली, सड़क से ही सरकार को दे डाली धमकी
धर्मशाला। भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के बैनर तले 21 संगठनों ने दाड़ी मैदान से तपोवन (Tapovan) तक रैली निकाली। इस रैली में करीब एक हजार किसानों (farmers) ने भाग लिया। इस रैली को पुलिस (Police) ने विधानसभा के पीछे ही रोक दिया। गुस्साए किसानों ने सड़क पर ही धरना दे दिया और सरकार को साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके मुद्दों का जल्द समाधान नहीं किया तो वे आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। सड़क पर बैठे किसानों को संबोधित करते हुए मंच के अध्यक्ष बेली राम कौंडल ने कहा कि परवाणू-शिमला, किरतपुर-मनाली, मटौर-शिमला, पठानकोट-मंडी, पिंजौर-नालागढ़, हमीरपुर-कोटली-मंडी, भानुपाली से बिलासपुर रेल लाइन, सड़क प्रभावितों ने जयराम सरकार से मांग की कि हिमाचल सरकर (Himachal Goverment) भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के सभी प्रावधानों को हिमाचल में लागू करे और पहली अप्रैल, 2015 की अधिसूचना को तत्काल रद्द करे।
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संयोजक जोगिंदर वालिया ने कहा कि अक्तूबर 2018 में मंत्री स्तर पर एक सब-कमेटी गठित की गई थी, जिसमें पुनर्स्थापना, पुनर्वास तथा भूमि अधिग्रहण, 2013 के अनुसार फैक्टर-2 (चार गुना मुआवजा) को लागू करने की बात तय हुई थी, लेकिन चार साल बीत जाने के बावजूद हिमाचल सरकार अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं ले पाई है और हाल ही में मंत्री स्तर पर कमेटी गठित की गई है, जिसकी अभी तक कोई बैठक (Meeting) नहीं हो पाई है। इसके कारण आम किसानों में भारी गुस्सा है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि किसानों के मुद्दों को सरकार जल्द सुलझाए, अन्यथा समस्याओं के शीघ्र समाधान न होने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच, राज्य स्तरीय आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य, केंद्र सरकार व राष्ट्रीय उच्च मार्ग के अधिकारियों की होगी। संयुक्त किसान मंच के अध्यक्ष हरीश चौहन ने कहा कि अधिग्रहित भूमि पर आश्रित सहित अन्य लोगों को हुए आजीविका के नुकसान का आकलन कर उन्हें भी उचित मुआवजा दिया जाए और किसानों के मुद्दों को सरकार जल्दी सुलझाए। कुल्लू के सह संयोजक नरेश कुकू ने कहा कि स्थानीय पंचयातों को टोल मुक्त किया जाए तथा दुकानदारों (Shopkeeper) को पुनर्वास हेतु मुआवजा दिया जाए।
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इसके बाद 17 सदस्य कमेटी सरकार के वरिष्ठ मंत्री मोहिंद्र ठाकुर (Mohindra Thakur) से विधानसभा में जाकर मिली और अपनी 14 सूत्रीय मांगों को रखा। विस्तार से चर्चा करने के बाद मंत्री ने कमेटी के सदस्यों को आश्वासन दिया कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 व पहली अप्रैल, 2015 की अधिसूचना को रद्द करने हेतु 30 जनवरी तक तीन सदस्य कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी और इसके बाद कमेटी हर जिला में प्रभावित किसानों से मिलेगी और भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्यों कों सुनने के उपरांत सभी समस्याओं के निपटारा हेतु जल्दी कदम उठाएगी ।
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