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अल नीनो ने बढ़ाई महंगाई की चिंता, बारिश कम हुई तो घटेगा उत्पादन
Last Updated on June 19, 2023 by sintu kumar
नई दिल्ली। इस साल अल नीनो (El nino) के कारण कम बारिश (Monsoon) की आशंका ने महंगाई (Inflation) की चिंता बढ़ा दी है। मई में रिटेल महंगाई घटकर 4.25 फीसदी आ गई है। थोक महंगाई दर भी कम होकर -3.48 फीसदी के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। जून की मॉनिटरी पॉलिसी में RBI ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया। मगर RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अब भी बरकरार है।
फसल पर असर पड़ा तो गहराएगा संकट
महंगाई अभी भी 4% के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। RBI को महंगाई के बढ़ने के पीछे आशंका अल नीनो को लेकर है। अल नीनो पृथ्वी को गरम करने वाली मौसमी घटना है। इससे बारिश कम होगी, सूखा भी आ सकता है। मौसम में बदलाव होगा। ऐसे में खरीफ फसलों का उत्पादन कम होने की आशंका है। चावल, चीनी और दालों के उत्पादन पर भारी असर पड़ सकता है। इंडियन शुगर मिल असोसिएशन (ISMA) ने पहले ही चीनी के उत्पादन का अनुमान 3.40 करोड़ टन से घटाकर 3.28 करोड़ टन किया है। वैश्विक स्तर पर चीनी का उत्पादन कम होने से इसका आयात भी महंगा हो सकता है। ऐसे में अगर देश में चीनी की डिमांड बढ़ी और सप्लाई कम हुई तो चीनी के दामों में तेजी आ सकती है। चावल को लेकर स्थिति भी ठीक नहीं है। गेहूं के दामों में तेजी का माहौल है। सबसे अहम बात यह है कि अगर खरीफ फसलों की बुआई कम हुई तो अल नीनो का असर देखने को मिला तो खाद्य चीजों के थोक और रिटेल दामों में फिर तेजी आ सकती है। महंगाई दर को मापने वाले बास्केट में 40 फीसदी हिस्सेदारी खाने वाली चीजों की है। अगर इन चीजों के दाम बढ़े तो फिर महंगाई की दरें भी बढ़ेंगी।
डिमांड ज्यादा, सप्लाई कम
अगर अल नीनो के असर से बारिश कम हुई और जमीन गरम हुई तो चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन के साथ लौकी, भिंडी और ग्वार के कली के साथ प्याज का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। गन्ना कम हुआ तो चीनी का उत्पादन तो वैसे ही गिर जाएगा। फिर आगे फेस्टिव सीजन आने वाला है। खाद्य चीजों की डिमांड बढ़ेगी। घरेलू डिमांड बढ़ी, उत्पादन घटा, साथ ही वैश्विक स्तर पर आयात महंगा हुआ तो सरकार के पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं बचेगा। यही कारण है कि RBI रेट कट को लेकर काफी संभलकर आगे बढ़ रहा है। उसे महंगाई के बढ़ने की आशंका है।
सरकार की मजबूरी
मौजूदा समय में सरकार गेहूं, चावल और दालों के दाम कम करने के लिए मोर्चे पर जूझ रही है। इनकी सप्लाई मार्केट में बढ़ाने के लिए उसने स्टॉक लिमिट जैसे उपाय किए हैं। मगर चुनौतियां कम नहीं हो रही है। गेहूं और चावल के दाम में 5 से 6 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। अरहर और उड़द के दालों में 8 फीसदी की तेजी देखी जा रही है। चावल की औसत कीमत 10 जून को 40 रुपये थी, जो पिछले साल की तुलना में 8 फीसदी ज्यादा है। इस वक्त सरकारी स्टोरेज में करीब 80 मीट्रिक टन चावल है। इससे उससे राशन की दुकानों को भी सप्लाई करना है।
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