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लाहुल स्पीति में दस करोड़ के स्नो हार्वेस्टिंग पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी
लाहुल स्पीति । लाहुल स्पीति (Lahul Spiti) प्रशासन और जल शक्ति विभाग की ओर से केंद्र सरकार (CentralGovernment) को 102 करोड़ रुपए का प्लान भेजा गया था। अब लाहुल स्पीति में रेन एंड स्नो हार्वेस्टिंग प्लान (Harvesting Plan) को केंद्र की ओर से मंजूरी मिल गई है। केंद्र ने इस प्रोजेक्ट (Project) के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है और पहले दस करोड़ (One Hundred Million) का प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कहा गया है। केंद्र की ओर से इसकी डीपीआर (DPR) भी मंगवाई गई है। इस पायलट प्रोजेक्ट के अच्छे परिणाम आने पर ही आगे 102 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा। यह काम अलग-अलग चरणों में किया जाएगा। विभागीय जानकारी के अनुसार इसके लिए लाहौल स्पीति की सतधार एरिया में इस प्रोजेक्ट पर सर्वे (Survey) भी किया गया था। इसमें पाया गया कि सर्दियों के दौरान स्नो हार्वेस्टिंग की बहुत सी संभावनाएं हैं। इसी के तहत जल शक्ति विभाग को इस प्रोजेक्ट का प्रारूप बना कर भेजा गया था। यह प्रोजेक्ट केंद्र को पसंद आ गया और मंजूरी भी दे दी गई।
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इस प्रोजेक्ट के तहत स्नो हार्वेस्ट की जाएगी। इसके लिए लैंडहक आइस स्तूप (Landhak Ice Stupa) किया जाएगा। सर्दियों में यह कार्य आसान होगा। इसी के चलते इस योजना पर कार्य शुरू किया जा रहा है। जल शक्ति विभाग ने पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर दस करोड़ रुपए की डीपीआर बनानी शुरू भी कर दी है। ग्लेशियर लगातार सिकुड़ रहे हैं। इसलिए इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाना जरूरी हो जाता है। पर्यावरण विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के आंकड़ों के अनुसार हिमालयी क्षेत्रों में 1962 की तुलना में आज ग्लेशियरों और हिमखंडों का आकार 21 प्रतिशत घट चुका है। यदि यह रफ्तार रही तो आने वाले वर्ष 2050 तक ग्लेशियर और हिमखंड लुप्त हो जाएंगे। तब मानव जीवन के लिए यह घातक सिद्ध होगा। जबकि एक अन्य शोध के मुताबिक लाहौल स्पीति और किन्नौर जिले में ही 50 के करीब ग्लेशियर हैं, जिन्हें संरक्षित करने की जरूरत है।
वहीं इस संबंध में जल शक्ति विभाग के एक्सईएन रविंद्र शर्मा (Xen Ravindra Sharma) ने कहा कि लाहुल स्पीति के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है। यह करीबन 102 करोड़ रुपए की है। इस योजना के परिणाम सामने आने आएं इसलिए पहले प्रोजेक्ट के तौर पर दस करोड़ की योजना पर काम शुरू किया जाएगा। इसकी डीपीआर बनाकर राज्य सरकार (Himachal Government) के माध्यम से केंद्र को भेजी जाएगी। वहीं जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के जिला परिषद उपाध्यक्ष राजेश शर्मा ने इस संबंध में कहा कि उन्होंने जिला परिषद सदस्य एवं उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली मीटिंग में ही स्नो हार्वेस्टिंग योजना को लेकर सदन में प्रस्ताव रखा था, जो केंद्र सरकार को भी पसंद आया है। लिहाजा इसका नतीजा यह निकला है कि जिले के लिए स्नो हार्वेस्टिंग योजना पर काम होने लगा है।
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