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बिलासपुर को लेकर नड्डा पर है दबाव-नैना देवी सीट अंतर्कलह की है शिकार
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda)के लिए हिमाचल के चुनाव (Himachal Elections) में महत्वपूर्ण हो गए हैं, कारण सीधा है बीजेपी मिशन रिपीट करना चाहती है, नड्डा इसी प्रदेश के रहने वाले हैं। दबाव है सबसे ज्यादा नड्डा पर, बिलासपुर जिला से ताल्लुक रखते हैं, यहां तो उन्हें और भी ज्यादा दबाव से गुजरना पड़ेगा। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह के सामने नड्डा का कड़ा इम्तिहान है। बात नड्डा के गृह जिला बिलासपुर (Nadda home District Bilaspur) की नैना देवी सीट की करें तो ये सीट 2017 में कांग्रेस ने जीती थी। यानी अभी इस पर कांग्रेस के रामलाल ठाकुर बरकरार हैं। उनसे कैसे पार पाना है, ये भी नड्डा का इम्तिहान है।
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हिमाचल की पंजाब सीमा से सटी सीट नैना देवी (Naina Devi Seat) सीट पर नेताओं ने तैयारी कर रखी है। मौजूदा समय में इस सीट से कांग्रेस नेता रामलाल ठाकुर (Congress leader Ramlal Thakur) विधायक हैं, पिछले कई महीनों से वह चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इससे उलट इस सीट से विधायक रह चुके बीजेपी नेता रणधीर शर्मा पार्टी की अंतर्कलह से परेशान है, उन्हें अपनी ही पार्टियों के नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। रणधीर शर्मा 2012 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे। नैना देवी विधानसभा सीट उन चुनिंदा सीटों में शामिल है, जो तकरीबन हर बार उम्मीदवार बदल देती हैं, वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर ने यहां जीत दर्ज की थी, उन्हें इस चुनाव में 49.62% मत मिले थे, जबकि (Randhir Sharma of BJP) बीजेपी के रणधीर शर्मा को 45.66% मत मिले थे। इससे पहले नैना देवी सीट पर 2012 में बीजेपी के रणधीर शर्मा को जीत मिली थी। 2007 में भी बीजेपी प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की थी, जबकि 2002 में नैना देवी सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। इस बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी इस सीट पर प्रत्याशी उतारेगी।
नड्डा को परेशान कर रही नैना देवी विधानसभा सीट पर राजपूत मतदाताओं (Rajput voters) की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या है जो निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इस सीट पर पानी और सड़क प्रमुख समस्या है। यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, यहां अस्पताल तो हैं, लेकिन हर समय डॉक्टरों का अभाव रहता है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। अब नड्डा इस सीट पर कैसे पार पाते हैं,ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा।