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SC का आदेश, प्राइवेट स्कूल के टीचर्स को भी मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि निजी स्कूलों (Private Schools) में काम करने वाले शिक्षक कर्मचारी हैं और केंद्र सरकार द्वारा 2009 में संशोधित पेमेंट ग्रेच्युटी (Payment Gratuity) अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये नियम 1997 से लागू होगा। इसका मतलब 1997 के बाद रिटायर हो चुके सभी टीचर्स को प्राइवेट स्कूल ग्रेच्युटी का भुगतान करेंगे। सभी प्राइवेट स्कूलों को ये भुगतान ब्याज समेत 6 हफ्तों में करना होगा। जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की।
बता दें कि इस मामले में इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और अन्य प्राइवेट स्कूलों की तरफ से 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी (अमेंडमेंट) एक्ट-2009 के तहत सभी टीचर्स को ब्याज समेत ग्रेच्युटी देने के आदेश दिए हैं।
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SC ने याचिकाएं की खारिज
प्राइवेट स्कूलों की तरफ से कोर्ट में याचिका दाखिल कर ये कहा गया था कि उनके पास टीचर्स को ग्रेच्युटी देने की क्षमता नहीं है। इस पर बेंच ने कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं है। ये टीचर्स का अधिकार है। राज्यों में फीस को लेकर कानून हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन नियमों का पालन करने का मतलब ये नहीं है कि टीचर्स को ग्रेच्युटी से वंचित रखा जाए।
ये है कानून
बता दें कि ग्रेच्युटी के जुड़ा कानून साल 1972 से लागू है। इस कानून के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी या संस्था में 5 साल या उससे ज्यादा काम कर चुका है तो इस्तीफे या रिटायरमेंट के समय उसे ग्रेच्युटी दी जाएगी। इसके बाद साल 1997 में लेबर मिनिस्ट्री ने शैक्षणिक संस्थानों को भी इसके दायरे में लाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। ये कानून सभी प्राइवेट स्कूलों पर लागू किया गया था।