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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)का रेट-सेटिंग पैनल रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर भू-राजनीतिक रिस्क के बावजूद अपने उदार रुख को जारी रखेगा और (Interest)ब्याज दरों को स्थिर बनाए रखेगा। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई के इस साल के अंत में ही मौद्रिक नीति को कड़ा करना शुरू करने की उम्मीद है, और फरवरी की शुरुआत में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक के बाद से भू-राजनीतिक स्थिति में बदलाव हुआ है लेकिन आरबीआई दरों में कोई तत्काल परिवर्तन नहीं करेगा। हालांकि, पिछले सप्ताह यूक्रेन पर रूस के हमले ने वैश्विक और घरेलू बाजारों में उथल-पुथल ला दिया दिया और ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, जिससे मुद्रास्फीति की आशंका बढ़ गई है।
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मौद्रिक नीति पैनल ने फरवरी की बैठक में नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया जबकि वैश्विक केंद्रीय बैंकों (Global Central Banks) ने महामारी के बाद मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए दरें बढ़ाईं हैं। अन्य केंद्रीय बैंकों के उलट आरबीआई के दर ना बढ़ने का कारण है कि देश की मुद्रास्फीति का चरित्र अन्य अर्थव्यवस्थाओं से थोड़ा अलग है। हालांकिए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने एमपीसी की बैठक में कहा था कि चूंकि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के शांत होने की उम्मीद है, इसलिए मौद्रिक नीति में समायोजन की गुंजाइश रहेगी। बार्कलेज के अर्थशास्त्रियों ने 24 फरवरी को ग्राहकों को लिखे एक नोट में कहा है कि हम दोहराते हैं कि मुद्रास्फीति पर इस तरह के संदेश के बाद आरबीआई की निकट अवधि में दरों में बढ़ोतरी की परिकल्पना कर पाना मुश्किल हो जाता है।