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गुरु गोबिंद सिंह जयंतीः उनके जीवन से जुड़ी ये खास बातें जानते हैं आप
हर साल सिख धर्म के 10वें और अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) के शुभ अवसर को प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह खास दिन आज यानी 9 जनवरी, 2022 को मनाया जाएगा। प्रकाश पर्व को सिर्फ सिख समुदाय के लोग ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
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गुरु गोबिंद सिंह का जीवन कई मायनों में बेहद ही प्रेरणादायक रहा है। गुरु गोबिंद सिंह एक आध्यात्मिक गुरु थे, जिनकी निडरता की मिसाल पूरे विश्व में दी जाती है। इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। गुरु गोविंद सिंह जयंती के शुभ अवसर पर आज हम आपको
उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताएंगे।
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन पटना में हुआ था। आज उस स्थान को पटना साहिब नाम से जाना जाता है। बता दें कि साल 2022 में सप्तमी तिथि शनिवार को यानी 8 जनवरी को रात 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और 9 जनवरी को दिन में 11 बजकर 8 मिनट पर खत्म होगी। वहीं, इस साल गुरु गोबिंद सिंह का जन्मदिन 9 जनवरी को मनाया जा रहा है। बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व सिखों के नानकशाही कैलेंडर के आधार पर तय किया जाता है।
सिखों के आखिरी गुरु थे गुरु गोबिंद सिंह
गुरु गोबिंद सिंह सिखों के 10वें और आखिरी गुरु थे। उन्होंने गुरु प्रथा को खत्म कर दिया था। गुरु गोबिंद सिंह ने केवल गुरु ग्रंथ साहिब को ही सर्वोच्च बताया और उनके पदचिन्हों पर चलते हुए आज तक सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब को ही सर्वोच्च मानकर पूजा जाने लगा।
सिख धर्म को दिए पांच ककार
गुरु गोबिंद सिंह ने पांच सिद्धांतों की स्थापना भी की, जिसमें पांच ककार भी कहा जाता है। सिख धर्म के अनुयायियों के लिए इन पांच ककार का विशेष महत्व है और हर खालसा सिख इसे अवश्य धारण करता है। इन ककारों में क अक्षर से शुरू होने वाली पांच चीजें होती हैं, जिनमें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा शामिल है।
खालसा पंथ के संस्थापक
गुरु गोबिंद सिंहने सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक पथ प्रदर्शित किया। उन्होंने साल 1699 में सिख योद्धा समुदाय खालसा की स्थापना की थी और खालसा पंथ की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों से कई बार लड़ाई की और उसमें फतह भी हासिल की। बता दें कि खालसा वाणी- वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह भी गुरु गोबिंद सिंहकी ही देन है।

कुशल योद्धा और महान लेखक
गुरु गोबिंद सिंहएक कुशल योद्धा थे, लेकिन फिर भी उनका मानना था कि युद्ध को एक अंतिम उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए। अपने दुश्मन से युद्ध करने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद को अपनाकर स्थिति को संभालने का प्रयास करना चाहिए। गुरु गोविंद सिंह सिर्फ एक कुशल योद्धा ही नहीं बल्कि एक महान लेखक भी थे।गुरु गोबिंद सिंह फारसी, पंजाबी, संस्कृत और अरबी भाषाओं के जानकार थे।
गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षा
गुरु गोबिंद सिंह ने कई ऐसी शिक्षाएं दीं जो कि आज के समय में भी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मकता के पथ पर ले जाती हैं। गुरु गोबिंद सिंह ने हमेशा किसी भी प्रकार की कोताही ना बरतने की सलाह दी है। उनके अनुसार, व्यक्ति को अपने काम मन लगाकर पूरी मेहनत के साथ करना चाहिए।गुरु गोबिंद सिंह ने शिक्षा दी थी कि अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दें। दान को किसी भी धर्म में श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा था कि अपने अंदर से अहंकार को मिटा दें। ऐसा करने से आपको वास्तविक शांति प्राप्त होती है। उनका कहना था कि मानसिक शांति और खुश रहने के लिए हमेशा दुखी इंसान, विकलांग या जरूरतमंद की सहायता करें।