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मिट्टी की खूबी जान शुरू की बर्तन बनाने की कंपनी, 25 लाख साल का टर्नओवर
आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत (Personality) से मिलाने जा रहे है जो पढ़ने लिखने में टॉपर है, लेकिन उन्होंने नौकरी ना कर ऐसे बिजनेस (Business) को चुना जो गांवों में कई सदियों से चला आ रहा है। इस बिजनेस से उन्हें अच्छा खासा टर्नओवर (Turnover) भी मिल रहा है। यह है जयपुर की 30 साल की रेखा। रेखा ने बताया कि जयपुर से ही बीकॉम, एमबीए (MBA), एलएलबी, सीएस और जर्नलिज्म में एमए की पढ़ाई की। पढ़ना मेरा शौक था, इसलिए इसे पूरे दिल से किया।
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पढ़ाई के सा-ण्साथ चीजों को ऑब्जर्व (Observe) करना और किसी घटना के पीछे की वजह क्या है, उस क्यों को जानना मेरी आदत रही। शायद यही वजह थी कि एक दिन यूं ही परिवार (Family) के साथ बैठकर बात करते-करते आइडिया (Idia) आया कि आखिर हमारी दादी मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाती थीं तो वे 90 साल की होने के बावजूद अपने खुद के सारे काम कर लेती थीं। उन्हें कभी बीपी या शुगर (Suger) की बीमारी नहीं हुई। क्या ये मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने का कमाल था। बस इसी उत्सुकता ने मिट्टी के बर्तनों पर रिसर्च करने का आधार बनाया।
मिट्टी के बर्तनों में ज्यादा पोषक तत्व
रेखा ने परिवार से बात की तो उन्हें मिट्टी के बर्तनों (Pottery) पर काम करने का आइडिया आया। रेखा ने एक जांच कराई जिससे यह पता चला कि प्रेशर कुकर की तुलना में हांडी में खाना पकाना ज्यादा सेहतमंद है। उसने एक ऐक्सपैरिमैंट (Experiment) किया। दाल को प्रेशर कुकर और मिट्टी की हांडी में पकाया। इस दाल को जांचने के लिए लैब से एक्सपर्ट्स आए। अब जो रिजल्ट (Result) सामने आया वो चौंकाने वाला था। मैंने देखा कि प्रेशर कुकर की दाल में वो माइक्रो न्यूट्रीएंटए मिनरल और विटामिन (Vitamins) नहीं थे जो मिट्टी की हांडी में थे।
अब शुरू हुई बिजनेस वुमन की जर्नी
मेरे दिमाग में मिट्टी शब्द ऐसे घूमने लगा जैसे मेरी जिंदगी का अंतिम लक्ष्य। इसके बाद मैंने अखबार में एक दिन बिजनेस वुमन (Business Woman) के लिए एक प्रतियोगिता पढ़ी। यह प्रतियोगिता नीति आयोग के जरिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (Indian Institute of Management) करा रहा था। मैंने भी उसमें हिस्सा लिया और देशभर से आए हजारों एप्लिकेशन में से मेरा आइडिया टॉप 100 में सिलेक्ट हुआ। आइडिया सिलेक्ट हुआ इस बात की तो खुशी थी ही साथ ही वो लड़की जो 12वीं तक घर से बाहर जाना नहीं जानती थी। उसे यह नहीं मालूम था कि कॉलेज जाने के लिए कौन से बस स्टैंड से बस मिलेगी। अब इस प्रतियोगिता के जरिए बैंग्लोर (Bangalore) तक होकर आ चुकी थी।
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वुमनोवेटर अवॉर्ड मिला
मेरा आइडिया सिलेक्ट होने के बाद मुझे 30 हजार का स्टाइपेंड (Stipend) मिला। इस 30 हजार रुपए से मैंने 2018 में अमृत माटी क्ले इंडस्ट्रीज प्रा. लि. शुरू की। आज इस कंपनी का 25 लाख का टर्नओवर है। वो लड़की जिसके परिवार में लोग बहुत पढ़े.लिखे नहीं हैं। उसे कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं था। खानदान में कोई लड़की ऐसी नहीं, जिसने अपने नाम से कंपनी शुरू की हो, लेकिन मैंने अपनी मेहनत और परिवार के सपोर्ट (Family Support) से यह सब कराया दिखाय।
इसके साथ ही आज उन सभी लोगों के मुंह पर ताला लग चुका है, जो मुझे और मेरे परिवार को ताने देते थे। 2013 से बिजनेस वुमन की जर्नी शुरू की थी और 2018 में आकर एक कंपनी के रूप में सेटअप हो पाई। यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। कदम-कदम पर मुझे खुद को प्रूव करना पड़ा। हाल ही में एशिया (Asia) की 1000 एंटरप्रेन्योर में मैं भी चयनित हुई और उसमें मैंने भी अपने बिजनेस के बारे में प्रेजेंटेशन दी। यहीं पर वुमनोवेटर अवॉर्ड से भी सम्मानित हुई।