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Electoral Bond को असंवैधानिक बताकर SC ने किया रद्द, सरकार को झटका
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आ गया है। SC ने चुनाव बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार को यह बड़ा झटका लगा है। इसके अलावा राजनीतिक दलों को आदेश दिया गया है कि वे चुनावी बॉन्ड से मिली फंडिग को वापिस भी करें। सबसे ज्यादा झटका BJP को ही लगा है क्योंकि उसे ही सबसे ज्यादा चंदा मिल रहा था। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 5 सालों के चंदे का हिसाब-किताब भी मांग लिया है। कोर्ट का कहना है कि जनता को सूचना का पूरा हक है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया साल 2023 के अप्रैल महीने से लेकर अब तक की सारी जानकारियां चुनाव आयोग (Election Commision) को दे और आयोग ये जानकारी कोर्ट को दे। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश ने बताया है कि फैसला सभी जजों की सर्वसम्मति से सुनाया गया है।
कोर्ट ने कहा, चुनावी बॉन्ड योजना, अनुच्छेद 19 (1)(ए) का उल्लंघन है। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है। अब शीर्ष अदालत के फैसले के बाद जनता को भी पता होगा कि किसने, किस पार्टी की फंडिंग की है। चार लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर चुनावी बॉन्ड स्कीम की वैधता को चुनौती दी थी। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है जिसका दूरगामी असर देखने को मिल सकता है। SC ने आशंका जताई कि राजनीतिक दलों की फंडिंग करने वालों की पहचान गुप्त रहेगी तो रिश्वतखोरी का मामला भी बन सकता है। पीठ में शामिल जज गवई ने कहा कि पिछले दरवाजे से रिश्वत को कानूनी जामा पहनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस स्कीम को सत्ताधारी दल को फंडिंग के बदले में अनुचित लाभ लेने का जरिया बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने मतदाताओं के अधिकार की भी बात की।
-नेशनल डेस्क