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नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पिछले 50 दिनों से अधिक समय से प्रदर्शन चल रहा है। इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी बीच सड़क पर डेरा डाले बैठे हुए हैं। इस सब के इतर प्रदर्शन के दौरान एक 4 महीने के बच्चे की ठंड से मौत होने का मामला गरमाया हुआ है। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस (Notice) भेजा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तब संज्ञान ने लिया जब वीरता पुरस्कार जीतने वाली एक बच्ची ने इस मसले को लेकर एक पत्र लिखा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सवाल पूछा है कि आखिर 4 महीने का कौन सा बच्चा खुद प्रदर्शन में जाता है?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बच्चों के धरने-प्रदर्शन में शामिल होने और उस दौरान एक बच्चे की ठंड से मौत हो जाने के मामले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। इसके अलावा शाहीन बाग की तीन महिलाओं ने भी खुद का पक्ष रखने की मांग की। इन तीनों महिलाओं ने अपने वकील के जरिए कहा कि जब ग्रेटा थनबर्ग एक प्रदर्शनकारी बनीं तब वह भी एक बच्ची ही थीं। उनका कहना था कि उनके बच्चों को स्कूल में पाकिस्तानी कहा जाता है।
वकील शाहरुख आलम ने कोर्ट को बताया कि बच्चे की मौत प्रदर्शन में जाने से नहीं हुई है। वह बच्ची झुग्गी में रहती थी और उसकी मौत सर्दी लगने और लगातार बीमार होने की वजह से हुई है, न कि प्रदर्शन में जाने से। उसकी मौत कैसे हुई ये पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा की अगर झुग्गी में रहने वाली मां प्रदर्शन में जाती है तो उसके बच्चे कहां रहेंगे। अंतरराष्ट्रीय कानून में बच्चों को भी प्रदर्शन करने का अधिकार है और भारत ऐसी संधि पर हस्ताक्षर कर चुका है। इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने साथ कहा कि जिसको भी अपनी बात कहनी है वह इस मामले में याचिका दाखिल करें और फिर उस पर सुनवाई होगी।
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