-
Advertisement
चार माह बाद खुला शिकारी देवी का दरबार, मनमोहक नजारों के बीच होंगे दर्शन
जिला मंडी की ऊंची चोटी पर स्थित माता शिकारी देवी (Shikari Devi) का दरबार सोमवार को 4 महीने बाद श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है। बर्फ और मनमोहक नजारों के बीच कई श्रद्धालु (Devotee) माता के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। मंगलवार से चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली है, जिसको लेकर माता के दरबार में भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। नवरात्रों को लेकर होमगार्ड के जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
शिकारी देवी के दरबार (Shikari Devi Temple) तक अभी भी बर्फ है, लेकिन PWD द्वारा इसे हटा दिया गया है। मां के दरबार खुलते ही पहाड़ों पर रौनक लौट आई है। मंडी की सबसे ऊंची चोटी होने के कारण शिकारी में मौसम खराब होते ही बर्फ गिरनी शुरू हो जाती है। लंबे समय के बाद मां का दरबार खुला है, तो लोगों में भी दर्शनों के लिए भारी उत्साह है। बीते नवंबर माह में मां का दरबार बंद कर दिया था, जिसे अब जाकर खोला गया है।
ट्रैकिंग के लिए फेमस
शिकारी देवी मंदिर ट्रैक के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। सैलानी दूर-दूर से यहां आते हैं। कमरूनाग से पर्यटक शिकारी देवी के लिए ट्रैकिंग (Tracking) करते हैं। जिला की चोटी पर होने के कारण इसे मंडी का क्राउन (Crown of Mandi) भी कहा जाता है। शिकारी देवी ट्रैक पर घने जंगल हैं, जो इस सफर को और रोमांचक बनाते हैं। बर्फबारी के दौरान यहां का नजारा जन्नत से कम नहीं लगता।
शिकारी देवी का रोचक इतिहास
शिखर की पहाड़ियों पर स्थित मां शिकारी देवी के मंदिर पर आज भी छत नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पंडितों ने करवाया था। माना जाता है कि मार्कंडेय ऋषि (Markandeya Rishi) ने इस जगह पर कई साल तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर माता दुर्गा अपने शक्ति स्वरूप में यहां स्थापित हुई थी। वहीं, बाद में अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। कहते हैं, पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां ने उन्हें विजय होने का आर्शीवाद दिया था। उसी समय पांडवों ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए।