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आपका फोन यूं ही नहीं कहलाता स्मार्टफोन, इसके पीछे छिपे हैं कई राज, जानें यहां
आम फोन से मोबाइल स्मार्ट ऐसे ही नहीं बना है। इसके बीच पीछे है इसकी स्मार्टमेन्स। क्या आपको पता है कि आपका स्मार्टफोन (Smart Phone) कुछ फीचर खुद ही हैंडल करता है, जैसे कि आपके फोन की ब्राइटनेस (Brightness) कब बढ़ानी है और कब नहीं। यह फीचर अब एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म वाली डिवाइस पर मौजूद है। स्मार्टफोंस के अलावा इसका इस्तेमाल लैपटॉप (Laptop) और मैकबुक में भी बढ़ रहा है। ऐसे में जानते हैं ऑटो ब्राइटनेस फीचर कैसे काम करता है।
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आपने अक्सर मोबाइल का इस्तेमाल करते समय यह देखा होगा कि जब घर से बाहर या तेज रोशनी वाली जगहों पर जाते हैं तो स्क्रीन की ब्राइटनेस बढ़ जाती है। वहीं, रात के समय के स्क्रीन की चमक धीमी पड़ जाती है। ऐसा ऑटो ब्राइटनेस (Auto Brightness) फीचर के कारण होता है। अगर आप इस फीचर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको मैन्युअल ब्राइटनेस को घटाना या बढ़ाना नहीं पड़ता। अब समझते हैं कि स्मार्टफोन्स को कैसे पता चलता है कि कब ब्राइटनेस बढ़ानी है और कब घटानी है। गैजेट्स नाउ (Gadgetsnow) की रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोंस में कई तरह के सेंसर लगे होते हैं, जैसे- प्रॉक्सिमिटी सेंसर, गायरोस्कोप और बैरोमीटर आदि। इनमें से ही एक है एम्बिएंट लाइट सेंसर (Ambient Light Sensor)। इसी सेंसर की मदद से यह फीचर काम करता है।
स्मार्टफोन में लगा एम्बिएंट लाइट सेंसर यह पता लगाने में सक्षम है कि मोबाइल के आसपास कब रोशनी है और कब नहीं है। यह एक कैमरे की तरह काम करता है। यह मोबाइल के आसपास मौजूद लाइट को कैल्कुलेट (Calculate) करता है और फिर उसी के मुताबिक ब्राइटनेस को अपने आप घटाता-बढ़ाता है। पिक्सल और सैमसंग के कुछ फोन्स में अडाप्टिव ब्राइटनेस फीचर भी दिया गया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ब्राइटनेस को एडजस्ट करता है। वहीं, ऐपल में मौजूद ट्रून टोन फीचर भी ऐसा करने में मदद करता है।