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कांगड़ा। एसएमसी एनआरएसटी (SMC NRST) अनुदेशकों ने EGS अनुदेशक की तर्ज पर ग्रामीण विद्या उपासक का दर्जा मांगा है। बता दें कि 40 एसएमसी एनआरएसटी अनुदेशकों की नियुक्ति बीजेपी शासन काल में बीए (BA) और बीएड (B.Ed) के आधार पर एसएसए/आरएमएसए (SSA/RMSA) के द्वारा आरटीई एक्ट (RTE ACT- 2009) के तहत की गई थी। नियुक्ति Dropout/Never Enrolled बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने हेतु की गई थी। सभी अनुदेशक पिछले 11 साल से मात्र 5400/7500 रुपये प्रति माह मानदेय पर कार्य कर रहे हैं।वहीं, 12वीं पास एजुकेशन गारंटी स्कीम (EGS) के तहत रखे 34 अनुदेशक जो पिछले 11 साल से एसएमसी एनआरएसटी के साथ एक समान पद पर कार्य कर रहे थे। प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा ईजीएस और एनआरएसटी (NRST) अनुदेशकों की फाइल को क्लब करके तथ्यों सहित शिक्षा सचिवालय को ग्रामीण विद्या उपासक में परिवर्तित करने के लिए भेजी। इसके बाद वित्त विभाग की मंजूरी के लिए भेजा गया, लेकिन वित्त विभाग द्वारा 34 ईजीएस अनुदेशकों को ही मंजूरी मिली। इसके बाद 20 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार द्वारा 34 ईजीए अनुदेशकों को ग्रामीण विद्या उपासक में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया, जोकि एसएमसी एनआरएसटी से अन्यायपूर्ण है।
शेष बचे 40 एसएमसी एनआरएसटी अनुदेशकों को प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा पीडीपीईटी ब्रिज क्रॉस (PDPET Bridge Course) करवा दिया गया है। सभी अनुदेशक आरटीई एक्ट 2009, एनसीटीई और आरएंडपी रूल्स की सारी शर्तें जोकि ग्रामीण विद्या उपासक बनने के लिए जरूरी हैं को पूरा करते हैं। एसएमसी एनआरएसटी अनुदेशकों ने सरकार से आग्रह किया है कि 34 ईजीएस अनुदेशकों की तर्ज पर उन्हें भी ग्रामीण विद्या उपासक में परिवर्तित किया जाए।
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