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सगनम के स्नो फेस्टिवल में दिखे लाहुल स्पीति की संस्कृति के रंग
बर्फ का रेगिस्तान कहे जाने वाले हिमाचल के लाहुल स्पीति जिला की खासियत यहां की समृद्ध संस्कृति है। इसी संस्कृति के नजदीक से जानने के लिए देश विदेश से लोग लाहुल- स्पीति आने की तमन्ना रखते हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जिला में स्नो फेस्टिवल मनाया गया।
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वैसे तो यहां पर छंगफुत, लोसर, छंका, बूचेन, दाछंग, नमगेन जैसे त्योहार भी मनाए जाते है, जिनमें यहां के लोगों के रहन सहन , खानपान के बारे में लोग जान सकते हैं। पर स्नो फेस्टिवल का उद्देश्य लाहुल- स्पीति के संस्कृति को पर्यटन का हिस्सा बनाना है। ताकि यहां के रोज़गार भी मिले और उनकी आर्थिकी भी मजबूत हो।
स्नो फेस्टिवल स्थानीय लोगों का फेस्टिवल है। लाहुल स्पीति का हर गांव इस फेस्टिवल में हिस्सा ले रहे हैं। जिसमें गुलिंग गांव के कलाकारों ने हाथी नृत्य , कुंगरी गांव ने टशी नृत्य, तेलिंग गांव ने डेकर, सगनम गांव ने खर नृत्य , अप्पर गुलिग गांव ने दा ट्यू नृत्य,भर गांव ने टासोर नृत्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सगनम के छात्रों ने फैशन शो और लोक नृत्य प्रस्तुत किया।
इस दौरान शोन नृत्य वाईएमसी खर और मुद गांव ने लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया, साथ में तीरंदाजी और पारम्परिक वस्तुओं की प्रदर्शनी आयोजित की गई। इस प्रदर्शनी में याक की ऊन से गलीचे, बोरिया बनाने की विधि दिखाई गई।
कबाइली जिला के प्रमुख छोलो खेल की प्रतियोगिता का भी प्रदर्शन किया गया। कई वर्ष पुराने पत्थर के बर्तन इस दौरान आकर्षण का केंद्र रहे। लकड़ी से हल , कृषि औजार भी बनाना स्टाल में दिखाया गया।
पुराने समय में ऊन से महिलाएं कपड़े कैसे बनाती थी वो प्रदर्शनी का अहम हिस्सा रहा। इसके अलावा, बुचेन डांस के कलाकारों ने अपना स्टाल लगाया था।