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वर्ल्ड चैंपियन इंग्लैंड की राह मुश्किल, श्रीलंका ने 8 विकेट से रौंदा
बेंगलुरु। श्रीलंका ने गुरुवार रात डिफेंडिंग वर्ल्ड चैंपियन इंग्लैंड (Defending World Champion England) को 8 विकेट से रौंदकर उसकी सेमीफाइनल की राह मुश्किल कर दी। एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के छोटे से मैदान पर हाई स्कोरिंग मुकाबले (High Scoring Contest) की उम्मीद थी। मगर बड़े हिटर्स से सजी इंग्लिश टीम सूखी और सपाट पिच पर पहले बल्लेबाजी करते हुए 34वें ओवर में सिर्फ 156 रन पर ही सिमट गई। जवाब में श्रीलंका ने 25.4 ओवर में दो विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। पाथुम निसंका 77 तो सदीरा समीराविक्रमा 65 रन बनाकर नाबाद लौटे। इससे पहले गेंदबाजी में लाहिरु कुमारा ने तीन विकेट झटके। श्रीलंका की ये पांच मैच में दूसरी जीत है, वहीं इंग्लैंड की इतने ही मुकाबलों में चौथी हार है।
इंग्लैंड के लिए सेमीफाइनल मुश्किल
मौजूदा चैंपियन इंग्लैंड अपने पांच मैच खेलने के बाद सिर्फ दो अंक और -1.63 के खराब नेट रन रेट के चलते नौवें स्थान (Ninth Position In Point Table) पर टिकी हुई है। श्रीलंका के खिलाफ हार ने उसके सारे समीकरण बिगाड़ दिए। उसके चार मैच अभी बाकी हैं। ऐसे में अब कोई चमत्कार ही इंग्लैंड को नॉकआउट (Knockout) की दौड़ में बरकरार रख सकता है। मतलब चैंपियन टीम को यहां से सिर्फ जीत नहीं, बल्कि दूसरी टीमों के नतीजों पर भी नजर बनाए रखनी होगी।
2007 से नहीं हारा श्रीलंका
श्रीलंका और इंग्लैंड के बीच वर्ल्ड कप की पहली टक्कर साल 1983 में हुई। इसके बाद से 1999 वर्ल्ड कप तक इंग्लैंड ही जीतता रहा, लेकिन कैरेबियाई सरजमीं पर खेले गए 2007 विश्व कप में पहली बार श्रीलंका को जीत मिली। तब से लेकर आज तक एशियाई टीम का विजय रथ जारी है। 2011, 2015, 2019 के बाद अब 2023 में भी श्रीलंका ने इंग्लैंड को हरा दिया। इस तरह विश्व कप के 12 मैच में हिसाब अब 6-6 पर आ चुका है।
हर मोर्चे पर फेल रही इंग्लैंड
मौजूदा वर्ल्ड कप इंग्लैंड के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। डिफेंडिंग चैंपियन टीम हर मोर्चे पर फेल रही। विशेषकर उनके बैटर्स अपने अति आक्रामकता के चक्कर में निपटते गए। खोई फॉर्म तलाशने के लिए उन्हें एम चिन्नास्वामी स्टेडियम से बेहतर बैटिंग फ्रैंडली विकेट (Friendly Wicket) नहीं मिलता। डाविड मलान और जो रूट को छोड़कर इंग्लैंड का कोई भी बैटर अब तक उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। गेंदबाजी में भी निरंतरता की कमी साफ देखी जा सकती है। जोस बटलर बतौर कप्तान और बल्लेबाज बुरी तरह विफल रहे। टीम कभी परफेक्ट कॉम्बिनेशन ही नहीं तलाश पाई।