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यूक्रेन के खार्कीव से दो हिमाचलियों सहित पैदल निकले एक हजार छात्र पहुंचे रेलवे स्टेशन
सुंदरनगर। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने की जद्धोजहद चल रही है। इसी बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। यूक्रेन के खार्कीव में मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल (Medical University Hostels) में फंसे एक हजार से अधिक छात्रों ने करीब 15 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर रेलवे स्टेशन पर पहुंचने में सफलता हासिल की है। इन छात्रों में हिमाचल के मंडी जिला के सुंदरनगर (Sundernagar) के दो छात्र अंकुर चंदेल और रिशिता भी शामिल हैं। यह सभी छात्र रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर बने बंकर में सुरक्षित पहुंच गए हैं। इन छात्रों का मुख्य मकसद ट्रेन से सफर कर खार्कीव से बाहर निकलना है। सभी छात्र बुधवार सुबह ही हॉस्टल के बंकर से निकलकर बमबारी और गोलीबारी के बीच किसी तरह बचते हुए रेलवे स्टेशन तक पहुंचने में कामयाब हो पाए।
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खार्कीव से इस तरह निकलने का निर्णय बच्चों के स्वजनों द्वारा बनाए गए वाटसएप ग्रुप में हुई बातचीत के दौरान लिया गया। हालांकि जब तक यह बच्चे रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तब तक वहां से चलने वाली ट्रेन (Train) जा चुकी थी और अगली ट्रेन कब आएगी इसकी अभी तक कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में सब छात्रों ने रेलवे स्टेशन के बंकर में शरण ली है। इंतजार किया जा रहा है कि किसी तरह उन्हें विशेष रूप से लवीव की ओर जाने वाली ट्रेन मिले। यदि लवीव जाने के लिए ट्रेन नहीं मिलती है तो अन्य किसी भी ट्रेन में वह खार्कीव को छोड़ बाहर निकल जाएंगे। इतनी संख्या में खार्कीव से निकले यह छात्र होस्टल के सिर्फ 4 व 5 नंबर के ही हैं। अन्य छात्र कैसे यहां से निकलेंगेए स्वजनों को इसकी चिंता भी सता रही है। अंकुर के पिता नरेश चंदेल और रिशिता के पिता प्रेम चंद ने बताया कि जब किसी का सहयोग नहीं मिला तो स्वजनों ने बच्चों संग विचार-विमर्श कर खार्कीव से निकलने की रणनीति तैयार की।
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खाना न पीने के लिए मिल रहा पानी
बताया जा रहा है कि युद्ध के शुरुआत से हॉस्टल के बंकर में रह रहे छात्रों को पिछले दो दिनों से खाना और पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। भारी ठंड का उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा है। अंकुर और अपने सहयोगियों के लिए खाने का प्रबंध करने के दौरान ही कनार्टक के छात्र नवीन को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। बता दें कि अपने बच्चों की दुख तकलीफ जानने और उन्हें वहां से निकलने के लिए बनाई जाने वाली रणनीति के लिए बच्चों के स्वजनों ने व्हाट्स एप ग्रुप बनाया है। इसमें देश भर से यू्क्रेन पढ़ने गए छात्रों के स्वजन शामिल हैं। खार्कीव से निकलने की रणनीति भी स्वजनों ने यही तैयार की। इसके बाद कड़ा निर्णय लेकर ही बच्चे यहां से निकले। वहीं यूक्रेन में फंसे बच्चों के स्वजनों का आरोप है कि बच्चों को खार्कीव से निकालने के लिए केंद्र सरकार और यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। इसी के चलते उन्होंने बच्चों का मार्गदर्शन करते हुए वहां से निकलने का फैसला सबकी सहमति के बाद लिया।
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