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परिवार का पालन पोषण मुश्किल से हो रहा था,अब कमा रहे हैं सालाना चार लाख
दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत के बाद भी जोगिन्द्र सिंह के परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से हो रहा था। परेशानी बनी रहती थी,चेहरे से मुस्कान दूर हो चुकी थी। लेकिन जोगिन्द्र सिंह के चेहरे पर मुस्कान लौट आई जब मौन पालन से उनकी आर्थिक स्थिति में एक नया बदलाव आना शुरू हुआ। यह बदलाव प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री मधु विकास योजना से संभव हो पाया है। बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के राजगढ़ उपमंडल (Rajgarh subdivision in Sirmaur) के ग्राम पंचायत जदोल टपरोली के टपरोली गांव के जोगिन्द्र सिंह की।
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जोगिन्द्र सिंह (Joginder Singh) ने कहा कि उन्होंने डाॅ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी जिला सोलन से उच्च वरियता प्राप्त वैज्ञानिकों से मौन पालन व ब्री ब्रीडर पर एक महीना10 दिन का निःशुल्क प्रशिक्षण व उत्तम तकनीक की जानकारी हासिल की। इसके उपरान्त उन्होंने मौन पालन व ब्री ब्रीडर के लिए उद्यान विभाग के कार्यालय राजगढ़ में आवेदन दिया। वर्ष 2019 में उद्यान विभाग राजगढ़ द्वारा मुख्यमंत्री मधु विकास योजना (Mukhyamantri Madhu Vikas Yojana) के तहत उन्हें ब्री ब्रीडर के लिए तीन लाख रूपए की अनुदान सहायता राशि प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन बहुत फायदे का व्यवसाय है और यदि इस व्यवसाय को कड़ी मेहनत व लगन और अच्छी देखभाल के साथ किया जाए तो बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
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उनका कहना है कि 300 मौनवशं से साल में पांच से छह क्विंटल शहद प्राप्त हुआ है जिससे उन्हें चार लाख रूपए सालाना आय प्राप्त हुई है। दिसंबर और जनवरी महीने में सरसों के फूलों से ज्यादा मात्रा में शहद प्राप्त होता है, इसलिए शहद उत्पादन में बढौतरी के लिए मौन वशों को मौसम के अनुसार हिमाचल के कुल्लू व अन्य राज्यों में राजस्थान, उतराखण्ड, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा हरियाणा के रेवाड़ी इत्यादि स्थानों पर ले जाते हैं। खेती-बाड़ी से जितनी आय दो से तीन वर्षों में होती है उससे दोगुनी आय अब मधुमक्खी पालन से एक वर्ष में ही होने से उनका परिवार काफी खुश है। प्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगार लोगों व ग्रामीणों के हित व कल्याण के लिए आरम्भ की गई इस योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने सीएम जय राम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) का आभार व्यक्त किया है।