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दो राजपूतों के बीच कांग्रेस से आजाद, पॉल बने हैं गले की हड्डी
हिमाचल में बीजेपी रिवाज बदलने की बात कर रही है तो साथ ही सुलह विधानसभा सीट (Sulah Assembly Constituency)पर भी रिवाज बदलने के चक्कर में है। सुलह विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1985 से लेकर एक बार बीजेपी और दूसरी बार कांग्रेस (Congress)का कैंडिडेट जीत दर्ज करवाता है। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सुलह विधानसभा क्षेत्र का विशेष महत्व रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार (Senior BJP leader Shanta Kumar)की गंगोत्री सुलह रही है। सुलह से 3 बार वह चुनाव जीते व प्रदेश के सीएम बने। एक समय सुलह खासा चर्चित भी रहा। वर्ष 2017 में यहां से जीते बीजेपी के विपिन परमार (Vipin Parmar)को पहले कैबिनेट मंत्री बाद में विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। बीजेपी के इस बार भी विपिन परमार ही कैंडिडेट हैं।
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कांग्रेस पार्टी ने इस बार जगजीवन पॉल की जगह जगदीश सिपहिया (Jagdish Sipahiya)को कैंडिडेट बनाया है। ऐसे में पूर्व सीपीएस जगजीवन पाल (former CPS Jagjivan Pal)ने निर्दलीय के तौर पर नामांकन भरा है। कांग्रेस के लिए वह मुसीबत बने हुए है। उन्हें पार्टी ने छह साल के लिए बाहर भी कर दिया है। लंबे अंतराल के बाद यहां पर दोनों प्रमुख दलों ने ठाकुर बनाम ठाकुर उतारे हैं। सुलह में राजपूत मतदाता (Rajput voters)अधिक हैं। दूसरे स्थान पर ओबीसी मतदाता आते हैं। उसके बाद अनुसूचित जाति व जनजाति के मतदाता आते हैं। सुलह में ब्राह्मण व राजपूत मतदाता एक हुए तो कैंडिडेट राजपूत ही जीता। जब दोनों जातियों में मत विभाजन हुआ, तो कैंडिडेट ओबीसी समुदाय से जीता।
सुलह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीट नंबर 14 है। इस विधानसभा सीट पर साल 2017 में विपिन सिंह परमार को विधायक चुना गया था। इससे पहले वर्ष 2012 में कांग्रेस के जगजीवन पॉल ने जीत हासिल की थी। वहीं 2007 में बीजेपी के विपिन कुमार परमार विधायक बने थे। ऐसे में लगातार हर चुनाव में उलटफेर का काम चलता आ रहा है। इस सीट की समस्याओं के बारे में बात करें, तो यहां कई जगहों पर पानी की समस्या है। इसके चंगर क्षेत्र (Changar Area)में लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। वहीं, कुछ जगहों की सड़कें भी ठीक नहीं हैं। जिससे लोगों को सफर करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
2017 – विपिन सिंह परमार – बीजेपी
2012 -जगजीवन पॉल -कांग्रेस
2007 -विपिन सिंह परमार- बीजेपी
2003- जगजीवन पॉल- कांग्रेस
1998- विपिन सिंह परमार- बीजेपी
1993- मान चंद राणा- कांग्रेस
1990 -शांता कुमार- बीजेपी
1985- मान चंद- कांग्रेस
1982- शांता कुमार – बीजेपी
1977 -शांता कुमार -जनता पार्टी