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9 Sept 2005 से पहले पिता की मृत्यु हुई है, तो भी बेटी को पैतृक संपत्ति में मिलेगा बराबर हिस्सा: SC
Last Updated on August 11, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Amended Hindu Succession Act) में एक बेटी संपत्ति की बराबर की अधिकारी है। कोर्ट ने कहा है कि पिता के पैतृक की संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर हक है, थोड़ा सा भी कम नहीं। जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा कि अगर कानून लागू होने से पहले ही पिता की मृत्यु हो गई हो तो भी बेटी को संपत्ति पर अधिकार (Property rights) मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले के जरिए यह साफ कर दिया है कि 5 सितंबर 2005 को संसद ने अविभाजित हिंदू परिवार के उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया था। इसके ज़रिए बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार माना था।
नतिनी अपने नाना की संपत्ति से भी ले सकती है हिस्सा
ऐसे में नौ सितंबर 2005 को ये संशोधन लागू होने से पहले भी अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो और संपत्ति का बंटवारा बाद में हो रहा हो तब भी हिस्सेदारी बेटियों को देनी होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि बेटियां हमेशा बेटियां रहती हैं। बेटे तो बस विवाह तक ही बेटे रहते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर बेटी के बच्चे चाहें कि वो अपनी मां के पिता (नाना) की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी लें तो वो इसका दावा ठोक सकते हैं, उन्हें अपनी मां के अधिकार के तौर पर नाना की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी मिलेगी। बता दें कि हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है।
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जस्टिस मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘बेटों की ही तरह, बेटियों को भी बराबर के अधिकार दिए जाने चाहिए। बेटियां जीवनभर बेटियां ही रहती हैं। बेटी अपने पिता की संपत्ति में बराबर की हकदर बनी रहती है, भले उसके पिता जीवित हों या नहीं।’ बता दें कि अपील का मुख्य मामला दिल्ली हाई कोर्ट के इस मामले में दिए गए फैसले से जुड़ा हुआ था। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के बीच के अंतर का जिक्र किया था।