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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) (All Party Hurriyat Conference [G]) से अपना इस्तीफा दे दिया है। 90 साल के गिलानी पार्टी के आजीवन अध्यक्ष थे। उन्होंने अपने इस्तीफा का ऐलान एक ऑडियो मैसेज के जरिए किया। जिसमें उन्होंने कहा कि हुरियत कान्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने इसके सभी स्वरूपों से अलग होने का फैसला किया है। इसके बारे में हुर्रियत के सारे लोगों को विस्तार से चिट्ठी लिखकर सूचना दे दी गई है।
गिलानी ने कहा कि उन्होंने हुर्रियत से खुद को दूर कर लिया है। पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में लगातार बदल रहे सियासी हालात के बीच यह अलगाववादी खेमे की सियासत का सबसे बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है। बता दें कि 90 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी कई सालों से घर के भीतर नजरबंद हैं और पिछले कुछ महीनों से उनकी तबीयत बहुत नाजुक बताई जा रही है। कहा जाता है कि उन्हें हार्ट, किडनी और लंग्स में दिक्कत है। फरवरी में उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। कई बार उनकी तबीयत को लेकर अफवाहें भी उड़ाई गई थीं।
26 अलगाववादी नेताओं ने मिलकर 9 मार्च 1993 को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसका गठन कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा और अलगाववादियों की सियासत को एक मंच देने के मकसद से किया गया था। इस कॉन्फ्रेंस में 6 लोगों की एक कार्यकारी समिति थी, जिसका फैसला अंतिम माना जाता था। बाद में सैयद आली गिलानी ने कुछ मतभेदों के चलते हुर्रियत का एक अलग गुट बना लिया था। इस तरह से हुर्रियत दो गुटों में बंट गई। गिलानी मतभेदों की वजह से 2003 में हुर्रियत से अलग हो गए थे। उन्होंने नया गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) या तहरीक-ए-हुर्रियत बना लिया था। दूसरे गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मुखिया मीरवाइज उमर फारूक हैं। गिलानी वाले गुट को कट्टरपंथी और मीरवाइज वाले गुट को उदारवादी माना जाता है।
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