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शर्मनाकः अंतिम संस्कार के लिए नहीं खोला श्मशान घाट का गेट, प्रशासन को करना पड़ा हस्तक्षेप
जोगिंद्रनगर। दूसरे गांव का बताकर अंतिम संस्कार के लिए गेट ना खोले जाने का मामला जोगिंद्रनगर में सामने आया है। एक घंटे के बाद जब परिजन प्रशासन के पास पहुंचे तब जाकर कहीं संस्कार हुआ। हुआ यूं कि निचला गरोडू पंचायत में शनिवार सुबह काकू राम का आकस्मिक निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार के लिए जोगिंद्रनगर श्मशान घाट में गांव के लोगों ने टैंपो में डालकर लकड़ी भेजी गई। लेकिन श्मशान घाट का बंद होने के कारण टैंपो को गेट के बाहर लगभग 1 घंटे तक खड़ा रखा गया।
समिति प्रबंधक को जब फोन किया गया तो उसका जवाब ता कि यह शमशान जलपेहड़ गांव के लोगों के लिए नहीं है, शव को बाहर ही जला दो। जलपेहड़ निवासी राजीव वालिया ने बताया कि उस वक्त काकू राम के घर पर केवल उसकी भाभी व भतीजी ही मौजूद थीं। काकू राम के बड़े भाई प्यार चन्द वालिया शिमला में विधुत विभाग में बतौर एसडीओ के पद पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। जो अपने बेटे के साथ उस समय शिमला में ही थे। ऐसे में गांव के लोगों द्वारा जब यह मामला प्रशासन के समक्ष रखा गया तो प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद गेट खुलवाया गया। राजीव वालिया ने बताया कि दशकों से उनके पूर्वजों को जोगिंदर नगर शमशान घाट में ही अंतिम संस्कार के लिए लाया जाता है। ऐसे में अब जलपेहड़ गांव के लोगों को यहां पर शव दहन करने से इस प्रकार से इंकार करना न्यायोचित नहीं है। इस बात को लेकर जलपेहड़ सहित गरोडू पंचायत के लोगों में खासा रोष देखने को मिला। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस विषय को गंभीरता से लिया जाए और अगर किसी व्यक्ति के साथ ऐसी घटना घटित होती है तो उसके परिवार को परेशान करने के बजाए उनकी मदद की जाए।उधर तहसीलदार जोगिंदर नगर विचित्र सिंह ने कहा कि मामला उनके ध्यान में आने के बाद श्मशान घाट का गेट खुलवा कर शव का अंतिम संस्कार करवाया। भविष्य में ऐसी घटना की पुनर्वृति हुई व मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन किया गया तो मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई अ ल में लाई जायेगी।
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