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सीएम के इस दर्द की दवा क्या है ?
Last Updated on June 25, 2022 by Deepak
https://youtu.be/WHaYsH8XZlg
वो जब जब बुलाते हैं वो तब तब आते हैं..बाते भी सुनते हैं और जयकारे भी लगाते हैं..खाना भी खाते हैं हाथ भी मिलाते हैं और मिल जाए तो पैसा लेकर चले भी जाते हैं..आप सोच रहे होंगे की वो है कौन..तो यह कहानी मेरे देश के नेताओं की है और उनकी रैलियो में जुटने वाली भीड़ की है। एक वक्त था तो नेता की रैली में भीड़ देखकर अंदाजा लगा लिया जाता था की किसकी सरकार बनने वाली है मगर अब वक्त बदल चुका है। अब भीड़ जुटाने का तरीका बदल चुका है…क्योकीं रैली किसी भी नेता की क्यों ना हो भीड़ बराबर दिखती है…मगर जब वोट की बात आती है तो नतीजे कुछ और ही निकल के आते हैं। दो छोटे छोटे से उदाहरण आपको देता हुं..जिससे तस्वीर आपके सामने साफ हो जाएगी। पश्चिम बंगाल में चुनाव थे पीएम मोदी की रैलियो में भीड़ देखकर एसा लगा था पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बन जाएगी..मगर नतीजे चौंकाने वाले थे। उसके बाद आप यूपी में आ जाओं कांग्रेस नेताओं की रैली में भी भीड़ की कमी नहीं थी..मगर नतीजो में कांग्रेस कहीं नहीं थी। यही कारण है की नेताओं को इस बात का दर्द हमेशा रहता है की भीड़ तो आ जाती है मगर वोट किसी और को दे देती है।