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एमए-बीएड के बाद HRTC की कंडक्टर्स बनीं 2 महिलाएं, निभा रही हैं दोहरी जिम्मेदारी
नितेश सैनी/मंडी। बेकार घर बैठने से बेहतर है नौकरी कर परिवार की सहायता करना और इस बात को साकार किया है हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) दो महिला कंडक्टर्स (Women Conductors) ने। दोनों ने एमए की पढ़ाई करने के साथ बीएड (MA and BEd) भी किया है। सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक दोनों सुंदरनगर (Sundernagar Depot) के लोकल रूट्स पर काम करती हैं और शाम को घर पर दोहरी जिम्मेदारी निभाती हैं। मंडी के सुंदरनगर डिपो में इन कंडक्टर्स की चर्चा सुंदरनगर उपमंडल में एक ईमानदार और जुझारू कंडक्टर के रूप में हर जुबां पर है। कई बार बस में बैठे कई बुजुर्ग उन्हें महिला होने के नाते इस नौकरी को छोडऩे की सलाह भी दे चुके हैं। लेकिन परिजनों ने कभी उनके इन हौसलों के आगे दीवार खड़ी करने का प्रयास नहीं किया।
नेट, सेट और टेट की परीक्षा पास
महिला कंडक्टर जयदेवी, निवासी शीला देवी ने राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र (Political Science And Economics ) में डबल एमए और बीएड करने के साथ ही नेट, सेट और टेट (TAT) की परीक्षा भी उतीर्ण की हुई है। वहीं, ठंडापाणी की द्रौपदी देवी एमए और बीएड हैं। शीला देवी ने कहा कि वह उप रोजगार कार्यालय सुंदरनगर में आऊटसोर्स कर्मी के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। परिवार वालों ने उन्हें घर बैठने के बजाए नौकरी के लिए टेस्ट देने को कहा। हमीरपुर चयन बोर्ड के माध्यम से बस कंडक्टर के पद निकले तो उन्होंने आवेदन कर दिया। तैयारी के बाद परीक्षा दी तो प्रदेश की कुल 7 महिलाएं कंडक्टर के पद पर चयनित हुई।
सवारियों से मिलता है आदर
द्रौपदी देवी की कहानी भी यही है। शीला और द्रौपदी देवी कहती हैं कि वह दोनों सुंदरनगर के लोकल रूटों पर चलती हैं। इस दौरान बस के चालक और सवारियों से उन्हें बड़ा आदर-सत्कार मिलता है। बस स्टैंड में भी अधिकारी, कर्मचारी उनके कार्य की प्रशंसा करते हैं। शीला की बेटी कालेज और बेटा स्कूल और द्रौपदी का बेटा पालीटेक्रिल कालेज में और बेटी सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ती है।
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