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11 वें Panchen Lama गेधुन चोयकी नीमा हुए 31के, रिहाई को होगी वैश्विक वकालत
Last Updated on April 25, 2020 by saroj patrwal
मैक्लोडगंज। गुमशुदगी के बीच तिब्बतियों के धर्मगुरू 11 वें पंचेन लामा (11th Panchen Lama) गेधुन चोयकी नीमा आज 31 साल के हो गए। चीन द्वारा पिछले 25 वर्षों से बंदी बनाए जाने वाले, गेधुन चोयकी नीमा (Gedhun choekyi nyima) का जन्मदिन आज भी दुख और चिंताओं के बीच गुजर रहा है। इस मर्तबा कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच आए धर्मगुरू के जन्मदिवस पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (Central Tibetan Administration) ने दुनिया भर में फैले अपने कार्यालयों के माध्यम से वैश्विक वकालत की पहल शुरू की है। यह वैश्विक वकालत (Global advocacy initiative) आज से शुरू होकर 17 मई तक जारी रहेगी। 11 वें पंचेन लामा के 17 मई लापता होने के 25 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस वैश्विक वकालत का मकसद यही है कि गेधुन चोयकी नीमा की सुरक्षित रिहाई हो। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन -(CTA) के अध्यक्ष डॉ लोबसांग सांग्ये (Dr Lobsang Sangay) ने कहा है कि इस मर्तबा दुर्भाग्यवश धर्मगुरू के जन्मदिवस पर हम सभी कोरोनो वायरस जैसी महामारी से गुजर रहे हैं,इसलिए हमने उनका पता लगाने व रिहाई के लिए वैश्विक वकालत करने का निर्णय लिया है।
पंचेन लामा के बारे में
14 मई 1995 को तिब्बतियों के धर्मगुरू दलाई लामा ने गेधुन चोयकी नीमा को 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी थी। इसके तीन दिन के बाद ही 17 मई 1995 से छह वर्षीय गेधुन व उनके परिजन रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हैं। 28 मई 1996 तक तो यह भी पता नहीं चल सका कि गेधुन व उसके परिजनों का किसने अपहरण कियाएलेकिन जब इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों के लिए गठित कमेटी ने उठाया तो पता चला कि चीन ने उसे बंदी बनाया हुआ है। चीन का मानना है कि दलाई लामा द्वारा घोषित पंचेन लामा को लेकर बुद्व संप्रदाय के लोगों में भारी रोष पनप रहा थाएइसी के चलते उन्हें सेना को भेजना पड़ा। इसके बाद से पंचेन लामा व उनके परिजनों के बारे में ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई कि वह कहां हैं। इसी बीच 29 नवंबर 1995 को चीन ने ग्यालसन नोरबू को पंचेन लामा घोषित कर दिया। गेधुन चोयकी नीमा इस वक्त 31 वर्ष के हो चुके हैंएजबकि उन्हें तिब्बती समुदाय में धर्मगुरू दलाई लामा के बाद दूसरे नंबर पर सबसे बडा गुरू माना जाता है।