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#Birdflu: पौंग झील में सुधरने लगे हालात, 2,200 मछुआरों को सता रही यह चिंता
धर्मशाला। पौंग झील (Pong Lake) में बर्ड फ्लू (#Birdflu) को लेकर अभियान 19वें दिन भी जारी है। अब तक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। पिछले तीन दिन से प्रवासी पक्षियों (Migratory Birds) की मृत्यु दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आज पौंग झील में विभिन्न प्रजातियों के 38 प्रवासी पक्षी मृत मिले हैं। अब तक प्रवासी पक्षियों की मृत्यु का आंकड़ा 4,874 पहुंच गया है। वहीं, हिमाचल में अभी तक पोल्ट्री में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है, जोकि राहत की बात है। बता दें कि प्रदेश में कांगड़ा जिला में ही अब तक बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। पौंग झील में प्रवासी पक्षियों और फतेहपुर क्षेत्र में मृत मिले तीन कौवों में यह वायरस पाया गया है। इसके बाद से ही पशुपालन (Animal Husbandry) और वन्यजीव विभाग (Wildlife Department) की टीमें पौंग झील की निगरानी में डटी हुई हैं। पौंग झील में पक्षियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। अगर कोई पक्षी मृत मिलता है तो उसे तय प्रोटोकॉल के तहत डिस्पोज किया जा रहा है। वहीं, देहरा, जवाली, फतेहपुर और इंदौरा ब्लॉक में चिकन, मीट, मछली और अंडों को बेचने पर रोक है। इसके साथ ही पौंग झील के एक किलोमीटर एरिया को अलर्ट जोन घोषित किया गया है। यहां किसी भी प्रकार की मूवमेंट बेन है। साथ ही अलर्ट जोन के बाहर के 9 किलोमीटर एरिया को निगरानी जोन बनाया गया है। यहां तक कि पौंग झील में मछली पकड़ने पर भी पाबंदी जारी है। इससे मछुआरों को रोटी के लाले पड़ गए हैं।
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बर्ड फ्लू से प्रवासी पक्षियों की मौत होने के कारण पौंग झील में मत्स्य आखेट पर एकदम से प्रतिबंध लगा देने के चलते मछुआरों (Fishermen) को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मछुआरों विजय कुमार, सतपाल, राजिन्दर काका, कृष्ण कुमार, अशोक कुमार, संजय कुमार, संदीप कुमार, संजीव कुमार, कर्म चन्द, तन्नू राम, वीर सिंह, अशवनी कुमार, मनोज कुमार, सुभाष चन्द, राकेश कुमार, इन्द्रपाल व नरेश कुमार इत्यादि ने कहा कि पौंग झील में एकदम से मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगाने से उनके जाल (Net) पानी में ही रह गए हैं तथा कश्तियां भी सूखी जगह पर पड़ी हुई हैं। उन्हें दीमक लग जाएगी तथा मछुआरों का हजारों रुपए का नुकसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पौंग झील में मछली पकड़ने का कार्य करने से ही उनके परिवार का पालन-पोषण होता है लेकिन अब झील में जाने पर पाबंदी लगा दी गई है तथा घर का खर्च करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि करीबन 2,200 मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य करके आजीविका कमाते हैं लेकिन अब उनको घर का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर बर्ड फ्लू के चलते सरकार ने मछली पकड़ने हेतु जाने वाले मछुआरों पर पाबंदी लगानी थी तो उस हिसाब से मछुआरों के लिए कोई राहत राशि भी दी जानी चाहिए थी लेकिन सरकार व मत्स्य विभाग ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि कम से झील में लगे जालों को निकालने दिया जाए व कश्तियों को भी पानी में पहुंचाने दिया जाए। मछुआरों ने प्रदेश सरकार व मत्स्य विभाग से मांग उठाई है कि मछुआरों को राहत राशि प्रदान की जाए, ताकि परिवार का पालन-पोषण कर सकें।