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छठे वेतन आयोग के लाभ न देने पर मुख्य सचिव को नोटिस, चार हफ्ते में मांगा जवाब
Himachal High Court : प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने से संबंधित मामले में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह के भीतर अवमानना याचिका का जवाब देने अथवा अनुपालना शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
6 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने का था आदेश
एचपी सचिवालय और पेंशनर कल्याण एसोसिएशन द्वारा अदालती आदेशों की अवमानना का आरोप लगाते हुए यह याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को सरकार को एसोसिएशन के सदस्यों को छट्ठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ 6 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने सरकार को 6 सप्ताह के भीतर बढ़ी हुई पेंशन की बकाया राशि देने को कहा था।
वित्तीय संकट के नाम पर लाभ नहीं रोक सकते
न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा था कि सरकार वित्तीय संकट के नाम पर पेंशनरों के लाभ नहीं रोक सकती और न ही उन्हें देने से इंकार कर सकती है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि उन्हें छट्ठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वित्तीय लाभ नहीं मिले हैं। एसोसिएशन ने कहा कि सरकार ने 3 जनवरी 2022 को संशोधित वेतनमान संबंधी नियम बनाए थे, लेकिन वे अभी भी अपने बकाया राशि से वंचित हैं।
सरकार पर भेदभाव का आरोप
सरकार ने 25 फरवरी 2022 को पेंशन नियमों में संशोधन कर डीसीआर ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख कर दी थी। 17 सितम्बर 2022 को सरकार ने वित्तीय लाभों का भुगतान पांच किश्तों में करने का प्रावधान बनाया था। प्रार्थियों का कहना है कि सेवानिवृति लाभ पाना उनका अधिकार है और सरकार उन्हें किश्तों में नहीं दे सकती। प्रार्थियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत कर्मचारियों को पांच किश्तों में और 1 मार्च 2022 के बाद सेवानिवृत कर्मचारियों को सभी लाभ एक साथ दिए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार कानूनी रूप से अपने वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होती है और वित्तीय स्थिति का बहाना बनाकर लाभ नहीं रोके जा सकते।