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शिमला। कालका-शिमला (Kalka-Shimla) हेरिटेज रेल ट्रैक पर शुक्रवार को 115 साल पुराना भाप इंजन (Steam Engine) छुक-छुक कर दौड़ा। इस भाप इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22 किलोमीटर की दूरी तय की। देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच चले इस इंजन से दो बोगियां लगाई गई थीं। धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ इंग्लैंड के मेहमानों ने इस सफर का आनंद लिया। घुमावदार रास्तों से पर्यटकों (Tourists) ने जहां यहां की हरियाली को देखा वहीं यहां की हसीन वादियों को अपने कैमरों में कैद किया। पटरियों पर धुएं के गुब्बार को छोड़ते हुए कोयले वाले इंजन की दिलकश आवाज से मंत्रमुग्ध हुए विदेशी मेहमान कई एंगल से रेल ट्रैक के साथ सेल्फियां लेते देखे गए।
बता दें कि यह भाप इंजन 115 साल पुराना है। इसका वजन 41 टन का है और इसकी क्षमता 80 टन खींचने की है। विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग 100 साल से भी अधिक पुराना ट्रैक है। इस मार्ग को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने तीसरी रेल लाइन के रूप में विश्व धरोहर में शामिल किया था। स्टेशन मास्टर प्रिंस सेठी ने कहा की स्टीम इंजन के साथ 14-14 सीटों वाले दो कोच लगा कर इसे शिमला रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया। बुकिंग पर विदेशी पर्यटकों के दल ने शिमला से कैथलिगाट तक का सफर किया और फिर वापस शिमला रेलवे स्टेशन तक आए।
बता दें कि शिमला में पहली ट्रेन 9 नवंबर, 1903 को पहुंची थी। यह स्टीम इंजन कालका कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था। इस ट्रैक पर वर्ष 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे। इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए। लेकिन धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजनों को संभाल कर रखा हुआ है।
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