-
Advertisement
अनोखी रस्म: यहां दशहरे के दिन बिछती है कांटो की सेज
Last Updated on October 20, 2023 by Soumitra Roy
हिंदु धर्म में नवरात्रि पर्व (Navratri Festival) बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल नवरात्रि 2023 का आगाज हो चुका है। मां दुर्गा की हर घर में 9 दिन तक पूजा-अर्चना की जाएगी और व्रत किए जाएंगे। देश के हर कोने में नवरात्रि के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं। ऐसे ही छतीसगढ़ के बस्तर (Bastar of Chattisgarh) में भी नवरात्रि पर्व को अलग ढंग से मनाया जाता है। और यहां देश-विदेश के लोगों की भीड़ लगती है। नवरात्रि और दशहरा की परंपरा (Tradition of Dussehra) यहां पर बेहद अलग है। यहां नाबालिग कन्या कांटों के झूले (Swing of Thorns) पर लेटकर दशहरा आरंभ करने की अनुमति देती है।
काछन गादी रस्म
बस्तर में यह परंपरा (Tradition) करीब 600 सालों से मनाई जा रही है। यहां एक छोटी सी कन्या को देवी बनाया जाता है, जिसे बेल के कांटों के झूले पर लेटाया जाता है। मान्यता है कि इस दौरान कन्या के अंदर देवी मां प्रवेश करती हैं और दशहरा पर्व को शुरू करने की अनुमति देती हैं। इस पूरी रस्म को काछन गादी (kachan gadi) नाम से जाना जाता है। यह परंपरा नवरात्रि से ठीक पहले दिन निभाई जाती है और इसे देखने के लिए लाखों लोग यहां आते है। कांटों के झूले में केवल कुंवारी कन्या को ही लेटाया जाता है। महापर्व दशहरा बिना किसी रुकावट के संपन्न हो इस मन्नत के लिए काछन देवी की पूजा की जाती है।