कुंवारी कहलाती हैं ये विवाहिता महिलाएं, यहां पढ़ें इनकी कहानी

शास्त्रों में कन्या कहलाती हैं ऐसी महिलाएं

कुंवारी कहलाती हैं ये विवाहिता महिलाएं, यहां पढ़ें इनकी कहानी

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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शादी के बाद हर महिला विवाहिता कहलाई जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो कि विवाहित होने के बावजूद भी कुंवारी कहलाती हैं। इस बात पर यकीन करना मुश्किल है, लेकिन ये सच है। आज हम आपको पांच ऐसी महिलाओं के बारे में बताएंगे, जो विवाहित होने के बावजूद भी कुंवारी कहलाई जाती हैं।


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हमारे शास्त्रों में ऐसी कन्याओं को अक्षत कुमारी (Akshat Kumaris) माना गया है। ये हैं अहिल्या (ऋषि गौतम की पत्नी), द्रौपदी (पांडवों की पत्नी), कुंती (पांडु की पत्नी), मंदोदरी (रावण की पत्नी) और तारा (वानर राज बाली की पत्नी)। शास्त्रों का कहना है कि इन पांचों कन्याओं का स्मरण करना महापापों को खत्म करने में सक्षम हैं। बता दें कि श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का उपयोग किया गया है ना की नारी शब्द का। ये पांचों स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है। कहा जाता है कि इन कन्याओं का हर दिन स्मरण करने से सारे पाप धुल जाते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं द्रौपदी की। द्रौपदी के बारे में ज्यादातर लोग जानते होंगे। पुराणों के अनुसार, द्रौपदी पांच पतियों की पत्नी थी और इनका व्यक्तित्व भी काफी मजबूत था। कथाओं के अनुसार, स्वयंवर के दौरान अर्जुन को अपना पति मानने वाली द्रौपदी (Draupadi) को सिर्फ कुंती के कहने पर पांचों भाईयों की पत्नी बनना पड़ा था। अपनी खुशी के विपरीत जाकर कुल और राज्य के उज्जवल भविष्य के लिए द्रौपदी ने पांच पांडवों की पत्नी होने का निर्णय लिया। उनके इस कर्तव्य के लिए ही उन्हें पवित्र माना गया है। अगर बात करें अहिल्या की तो वे अपने पति के प्रति पूरी तरह से निष्ठावान थी और यही कारण था कि उन्हें पवित्र माना गया है।

वहीं, इसी तरह हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था कि इस मंत्र के उपयोग से वह जिस भी देवता का ध्यान कर जप करेंगी, उनसे उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। इसी की चलते कुंती ने इस मंत्र को परखना चाहा और सूर्य का ध्यान करते हुए उन्होंने मंत्र का जप किया। जिसके बाद सूर्य प्रकट हुए और उन्हें पुत्र के रूप में कर्ण की प्राप्ति हुई। कथाओं का अनुसार, कुंती और पांडु का विवाह स्वयंवर में हुआ था। कहा जाता है कि पांडु को श्राप था कि वह अगर किसी भी स्त्री को स्पर्श करेंगे तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। पांडु आए दिन इस चिंता में डूबे रहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद कुरु वंश खत्म हो जाएगा। इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वासुदेव से भीम और इंद्रदेव से अर्जुन को पुत्र के रूप में पाया। हालांकि, अलग-अलग देवताओं से संतान प्राप्ति के बाद भी कुंती को कौमार्य और पवित्रद्ध माना गया है।

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शास्त्रों के अनुसार, मंदोदरी के सौंदर्य को देखकर रावण ने उससे विवाह किया। मंदोदरी काफी बुद्धिमान थी और उन्होंने हमेशा रावण को सही-गलत के बारे में समझाया, लेकिन रावण उनकी कोई बात नहीं मानते थे। मंदोदरी के इसी गुण के कारण उन्हें पवित्र और महान माना गया है। कथाओं के अनुसार, रावण की मौत के बाद विभीषण ने भगवान श्रीराम के कहने पर मंदोदरी को आश्रय दिया था।

वानर राज बाली की पत्नी तारा एक अप्सरा थी। तारा देवी समुद्र मंथन के दौरान निकली थी। तारा को बाली और सुषेण दोनों ही अपनी पत्नी बनाना चाहते थे इसलिए उस वक्त निर्णय हुआ कि जो तारा के वामांग में खड़ा है वह उसका पति और जो दाहिने हाथ की ओर खड़ा है वह उसका पिता होगा। इसी तरह बाली का विवाह तारा से हो गया। कथाओं के अनुसार, बाली का वध छल से किया गया था और तारा को बाली के वध का बहुत दुख हुआ। इसी के चलते तारा ने श्रीराम को श्राप दिया कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता को पाने के बाद जल्द ही खो देंगे और अगले जन्म में उनकी मृत्यु उन्हीं की पत्नी के द्वारा हो जाएगी।

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