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कालाअंब: 18 साल की उम्र में विवेक को कनाडा की यूनिवर्सिटी ने दी Ph.D की उपाधि
कालाअंब। पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को 18 साल के विवेक ने सच कर दिखाया है। विवेक इस समय कालाअंब हिमालयन ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन में बी फार्मेसी के सेकेंड सेमेस्टर में पढ़ाई कर रहे हैं. विवेक को मात्र 18 साल की उम्र में ग्लोबल ह्यूमन पीस यूनिवर्सिटी (Global Human Peace University) ने पीएचडी की मानद उपाधि दी है।
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अरसा पहले अपने पिता को खो चुके विवेक का इरादा नीट (NEET) परीक्षा उत्तीर्ण कर डॉक्टर बनने का था, लेकिन जब पहली कोशिश में सफलता नहीं मिली तो दूसरी कोशिश न करने का प्रयास किया। बचपन से मन में में वैज्ञानिक बनने का सपना था। विवेक ने 2019 में एक ‘ए पावर शू’ को इजाद किया। इससे चलने या फिर दौड़ने पर मोबाइल को चार्ज (charge) किया जा सकता था। इसकी खासियत यह भी थी कि अगर सैनिक युद्ध या फिर ग्लेशियर (glacier) मैं लापता हो जाए तो जूतों के जरिए उनकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।
हर्बल तरीके से तैयार किया प्रोडक्ट
इसके अलावा विवेक ने हर्बल तरीके से एक ऐसे प्रोडक्ट को तैयार किया, जिससे मच्छर आपको नहीं काटेंगे। यानी विवेक ने ‘एंटी मॉस्किटो लिक्विड’ बना दिया था। पढ़ाई के दौरान भी विवेक ने एक ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ का आविष्कार किया। इसे कमर्शियल तौर पर मार्केट पर भी लॉन्च कर चुके हैं। इसके सैम्पल्स (samples) की टेस्टिंग कोलकाता व दिल्ली की लैब्स में की गई है। विवेक मूलतः बिहार के गोपालगंज के रहने वाले है। विवेक का नाम किंग बुक ऑफ़ वर्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
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