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प्रदेश हित के मुद्दों पर राजनीति ना करें जयराम, विपक्ष को विक्रमादित्य की नसीहत
Vikramaditya Singh: लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ( PWD Minister Vikramaditya Singh)अपने दो दिवसीय जिला ऊना प्रवास के दूसरे दिन शुक्रवार को जिला मुख्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने लोक निर्माण विभाग सहित शहरी विकास विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक का आयोजन किया और प्रदेश और केंद्र सरकार के तत्वाधान में चल रही तमाम विकास योजनाओं की समीक्षा की। इस मौके पर लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जहां अधिकारियों और कर्मचारियों को विकास कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश जारी किए। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने हिमाचल प्रदेश के हित में प्रदेश से लेकर केंद्र तक बराबर आवाज उठाने की बात भी दोहराई।
हिमाचल को इस वर्ष करीब 4,000 करोड़ मिलने की उम्मीद
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को सुरक्षित रखना प्रदेश सरकार ( Himachal Govt) का और उनका पहला कर्तव्य है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार सहित केंद्र सरकार से जैसे भी लोगों के विकासात्मक कार्यों को सिरे चढ़ाने की बात है उसके लिए वह निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हिमाचल प्रदेश को 3500 करोड रुपए का बजट मिला। जबकि इस बार भी अभी तक 350 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार (Central government) द्वारा हिमाचल प्रदेश को दी जा चुकी। लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में हिमाचल प्रदेश को इस वर्ष भी करीब 4,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हर तरह के विकास कार्यों को सिरे चढ़ाने के लिए वह खुद फील्ड में उतरकर हर काम का बारीकी से निरीक्षण कर रहे हैं।
75,000 करोड़ रुपए का ऋण विरासत में मिला
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर (Leader of Opposition Jai Ram Thakur) द्वारा प्रदेश की सरकार पर अपने मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए लोगों के साथ लूटखसूट करने के आरोपों का भी विक्रमादित्य सिंह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व बीजेपी सरकार (BJP Government) से मौजूदा सरकार को 75,000 करोड़ रुपए का ऋण विरासत में मिला था। लेकिन इसके बावजूद सीएम प्रदेश की आमदनी को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को ध्यान में रखकर ही बयान बाजी की जानी चाहिए।