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क्या है ड्राईऑइस और कितनी खतरनाक है ये, यहां पढ़े डिटेल में पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं कि आखिरकार शुष्क बर्फ क्या है ! शुष्क बर्फ या ड्राई आइस (DryIce) और कुछ नहीं बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड का ही ठोस रूप हैं वही गैस जिसे श्वास प्रक्रिया के दौरान हम शरीर से बाहर छोड़ते हैं | इसे ड्राई ऑइस इसीलिए कहा जाता है क्योंकि जब कार्बन डाइऑक्साइड ठोस (solidify) होती हैं तो बर्फ की तरह दिखाई देती हैं. यह मुख्य रूप से कुलिंग एजेंट की तरह प्रयोग होती है और हमारे पृथ्वी के वायुमंडल का एक सामान्य हिस्सा है | ड्राई आइस ठंडा तापमान होने के कारण चीजों को जमा हुआ रखने में मदद करती है | आजकल सामान्य बर्फ की जगह ड्राई आइस का ही इस्तेमाल अधिक किया जाता है |
आपने कभी ड्राई आइस का इस्तेमाल किया है ? इस्तेमाल न सही, लेकिन कभी न कभी थिएटर्स में धुंध जैसे स्पेशल इफेक्ट्स तो ज़रूर देखे होंगे या कभी ड्रिंक्स में उठता सफेद धुंआ तो देखा होगा, यहाँ ड्राई आइस का ही इस्तेमाल किया जाता है | ड्राई आइस खासकर फ्रीजिंग और चीजों को जमा हुआ रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है | फ्लोर टाइल हटाने से लेकर इसके कई मेडिकल यूज हैं | गैर चक्रीय प्रशीतन ( non-cyclic refrigeration) का उपयोग करके, ड्राई आइस खाद्य पदार्थों को संरक्षित करता है | आइसक्रीम या बायोलॉजिकल सैंपल आदि को स्टोर करने के लिए भी ड्राई आइस यूज़ होती है | अनाज और अनाज उत्पादों के बंद कंटेनर में कीट गतिविधि को रोकने के लिए ड्राई आइस का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि यह ऑक्सीजन को विस्थापित करता है, लेकिन स्वाद या खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में परिवर्तन नहीं करता है। इसी कारण से, यह खाद्य तेलों और वसा को बासी होने से भी रोकता है | कार्बन डाइऑक्साइड के आकर्षण के कारण ड्राई आइस का उपयोग मच्छरों, बेडबग और अन्य कीड़ों को मारने के लिए भी किया जा सकता है |
कैसे बनती है ड्राई आइस ?
ड्राई आइस बनाने के लिए कार्बनडाई ऑक्साइड को -109 डिग्री फॉरेनाइट तक के तापमान पर ठंडा करके कम्प्रेस किया जाता है, जिससे गैस ठोस होकर बर्फ बन जाती है | इसके बाद इसे अलग अलग शेप में बदला जाता है।
क्या हैं ड्राई आइस के नुक्सान ?
ड्राई आइस के लंबे समय तक इस्तेमाल करने में फ्रॉस्टबाईट और त्वचा को नुकसान भी हो सकता है. यहां तक की कोहरे के उत्पादन में भी सुरक्षा बरतनी चाहिए क्योंकि यह कार्बन डाइऑक्साइड गैस की बड़ी मात्रा में उत्सर्जन करता है, जो हाइपरकैप्निया (hypercapnia)का खतरा पैदा कर सकता है. इसलिए अगर आपने ड्राई आइस किसी ऐसी जगह पर रखा है, जहां बेहतर वेंटिलेशन नहीं है, तो ऐसे में मुमकिन है कि कार्बन डाइऑक्साइड का कॉन्सन्ट्रेशन इतना बढ़ जाए जो आपके लिए खतरनाक साबित हो। जैसे सांसें तेज हो जाना, सिर दर्द, कुछ समझ में न आना, दम घुटना या यहां तक कि मौत भी हो सकती है। इसलिए ड्राई आइस को अच्छी तरह हवादार वातावरण या कोई खुली जगह जहाँ हवा प्रचूर मात्रा में हो वही इस्तेमाल करना चाहिए।
ड्राई आइस यूज़ करते समय इन ख़ास बातों का रखें ध्यान ..
- सबसे पहली बात ड्राई आइस बहुत ज्यादा ठंडी होती है, इसलिए सीधे हाथों से बिल्कुल टच न करें।
- ड्राई आइस जहां भी स्टोर करें, वेंटिलेशन का ध्यान दें, रेफ्रिजरेटर के फ्रीजर में ड्राई आइस न रखें ।
- अगर ड्राई आइस को कार या वैन से लेकर निकल रहे हैं, तो ध्यान रखें कि बाहर की हवा अंदर आती रहे।
- अगर आपने ड्राई आइस किसी बंद कार या रूम में 10 मिनट से ज्यादा रखा है, तो उसमें अंदर जाने से पहले ताजी हवा अंदर जाने दें और अगर आपको ऐसी किसी जगह में सांस लेने में तकलीफ हो, सिरदर्द होने लगे, होंठ या नाखून नीले पड़ने लगे, तो तुरंत वहां से निकल कर ताजी हवा वाली जगह पर पहुंचें क्योंकि ये संकेत होता है कि आपने बहुत ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सांस के जरिए अंदर ले ली है ।
- ड्राई आइस को पूरी तरह से एयरटाइट कंटेनर में स्टोर न करें । ड्राई आइस के सब्लिमेशन से कार्बन डाइऑक्साइड गैस कंटेनर को एक्सपैंड कर सकती है, जिससे ब्लास्ट होने का खतरा बढ़ सकता है।
- ड्रिंक्स में इस्तेमाल हो रहे ड्राई आइस के मामले में ध्यान दें कि कहीं गलती से आप ड्राई आइस कंज्यूम न कर लें।
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