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क्या आपको पता है आरती करने का सही तरीका, वरना नहीं मिलेगा फल
घर (Home) और मंदिरों में आपने अकसर देखा होगा कि भगवान (God) की आरती के बाद लोग आरती के ऊपर हाथ फेरकर सिर में रखते हैं। क्या आपको पता है ऐसा क्यों किया जाता है। इसके अलावा आरती (Worship) के दौरान दीपों की संख्या का भी विशेष ध्यान दिया जाता है और आरती करने का भी एक तरीका होता हैं। तो आइए आज हम आरती करने के सही तरीके, इसके महत्व को आज समझते हैं।
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आमतौर पर लोगों को यह नहीं पता होता है कि आरती की शुरुआत हमेशा भगवान के चरणों से होनी चाहिए। लोग सीधे ही मुख या बीच से ही आरती शुरू कर देते हैं। आरती का सही तरीका भगवान के चरणों से है। चार बार आरती को सीधी दिशा में घुमाना चाहिए और उसके बाद 2 बार ईश्वर की नाभि की आरती उतारें। इसके बाद भगवान के मुख की 7 बार आरती उतारनी चाहिए।
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आरती लेना क्या होता है
अकसर आरती के बाद आपने दीपक की लौ के ऊपर हाथ फेरकर आरती ली होगी, परंतु इसके महत्व (Importance) को आप नहीं जानते होंगे। भगवान की आरती होने के बाद भक्तगण दोनों हाथों से आरती लेते हैं। इस दौरान 2 भाव होते हैं, पहला जिस दीपक की लौ ने हमें अपने आराध्य के नखण्शिख के इतने सुंदर दर्शन (Beautiful View) कराएं हैं, उसको हम सिर पर धारण करते हैं। दूसरा, जिस दीपक की बाती ने भगवान के अरिष्ट हरे हैं, जलाए हैं, उसे हम अपने मस्तक पर धारण करते हैं। आरती लेने का सही तरीखा भी यही होता है कि पहले सिर पर घुमाएं और उसके बाद उस आरती की लौ को अपने माथे की ओर धारण करें।
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आरती करते टाइम इन बातों का ध्यान रखें
धर्म के जानकार कहते हैं कि आरती करते समय कोशिश की जानी चाहिए कि आप जो भी बोल रहे हैं, उसका उच्चारण सही हो। इसके साथ ही आरती के वक्त किसी और विषय में न सोचें। खासतौर पर मोबाइल फोन की ओर से अपना ध्यान हटा लें और 5 मिनट ही सही मगर एकाग्रता के साथ भगवान की आरती करें।