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तेजी से बढ़ रहा है मंकीपॉक्स वायरस, WHO ने दी चेतावनी – हालत हो सकते हैं गंभीर
Last Updated on May 22, 2022 by Vishal Rana
कोरोना महामारी ने दुनियाभर में लोगों के जीवन पर असर डाला है उससे लोग अभी तक उभर नहीं पाए हैं। ऐसा नहीं है कि इस महामारी का अंत हो गया है। दुनिया के कई देशों में केरा के मामले बढ़ने लगे हैं। अब कोरोना के बाद एक नया मंकीपॉक्स वायरस फैस रहा है। 12 देशों में मंकीपॉक्स के 92 केस और 28 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन बताया है (डब्ल्यूएचओ) मुताबिक मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला लंदन में 5 मई को पाया गया है। जब एक ही परिवार के 3 लोगों के बीच यह संक्रमण पाया गया तो इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन को 13 मई को दी गई थी, लेकिन अब यह बीमारी धीरे-धीरे 12 देशों में फैल गई है।
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WHO के अनुसार..यूरोप के कई देशों बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पॉर्चुगल, स्पेन, स्वीडन और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स वायरस फैल हा जा रहा है। इसके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने अभी इस बीमारी को महामारी घोषित नहीं किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह संक्रमित बीमारी तो है लेकिन कोरोनावायरस से काफी अलग है और फिलहाल इसके बड़े स्तर पर फैलने के आसार कम लग रहे है। और कल डब्ल्यूएचओ में इस बीमारी (Monkeypox Virus) को लेकर इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई थी।
अब कहां से आया मंकीपॅाक्स वायरस…..
मंकीपॅाक्स वायरस ज्यादातर चूहे और गिलहरी जैसे जानवरों में पाए जाते है। सबसे अधिक मामले अफ्रीकी देशों में पाए जाते है। घने जंगल और ज्यादा बारिश वाली जगह पर सबसे अधिक मामले सामने आते है। मंकीपॅाक्स का पहला केस 1970 में पाया गया था । बताया जा रहा है पहला केस भी लंदन में अफ्रीका से आए। एक व्यक्ति में पाया गया था। लेकिन भारत में अभी तक मंकीपॅाक्स का एक भी मामला सामने नही आया है पर भारत सरकार ने अपनी ओर से कोई ढ़ील नही छोड़ी है।
खास कर अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर रखी जा रही है। सरकार ने कहा है कि अगर हुआ तो बाहर से आने वाले सभी यात्रियों के सैंपल लेकर पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जांच के लिए भेजे जा सकते हैं। मंकीपॉक्स वायरस किसी व्यक्ति में फैलने में 5 से 12 दिन तक का समय लेता है। यह बीमारी संक्रमित जानवर से तो फैल ही सकती है। उसके अलावा संक्रमित व्यक्ति की लार से या त्वचा में संपर्क में आने से किसी दूसरे व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है। यह बीमारी 20 दिन के अंदर खुद ही ठीक हो जाती है। कुछ मामलों में अस्पताल में इलाज करने की जरूरत पड़ती है। स्मॉल पॉक्स की तरह ही मंकीपॉक्स के मरीज हो भी आइसोलेशन में रखने की जरूरत होती है, ताकि उससे यह बीमारी दूसरे को ना फैले। लेकिन हम सब को इस वायरस को अनदेखा नहीं करना चाहिए।