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हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट वर्कर्स ने कंपनियों से मांगा समान काम और वेतन
लेखराज धरटा/शिमला। हिमाचल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट वर्कर्स फेडरेशन (Himachal Hydro Electric Project Workers Federation) ने बिजली परियोजनाओं में काम कर रहे आउटसोर्स, ठेका व अन्य मजदूरों को समान काम का समान वेतन (Same Work Same Salary) देने की मांग की है। रविवार को फेडरेशन से संबंधित सीटू के दूसरे सम्मेलन में 200 मजदूर मौजूद रहे। सम्मेलन में 31 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया। मजदूरों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार बिजली परियोजनाओं में कार्यरत निजी पनविद्युत कम्पनियों (Private Companies) के मजदूरों और कर्मचारियों को बिजली बोर्ड एवं निगमों के कर्मचारियों के बराबर वेतन, भत्ते व अन्य सेवा लाभ देने और बारहमासी प्रकृति के कार्य में ठेकेदारी प्रथा तथा आऊटसोर्स प्रणाली (Outsource System) को खत्म करने की भी मांग की।
पुरानी पेंशन योजना बहाली की मांग
इसके अलावा बिजली उत्पादन में लगी निजी कम्पनियों के मजदूरों और कमचारियों के लिए वेतन आयोग (Pay Commission) गठित करने, बिजली उत्पादन अथवा जेनरेशन में कार्यरत मजदूरों के लिए अलग से वेतन शेडयूल (Pay Schedule) बनाने की मांग भी रखी गई। बिजली बोर्ड व निगमों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने की मांग भी मजदूरों ने की।
मजदूरों का हो रहा है शोषण
सम्मेलन को सीटू राष्ट्रीय सचिव कश्मीर सिंह ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम व कोषाध्यक्ष अजय दुलटा ने सम्बोधित किया। सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड व निगमों में नियमित कर्मचारी का वेतन लागू होता है या इनके निदेशक मंडल इनके वेतन को निधारित करते हैं। निजी कम्पनियों में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन नीति (Wage Policy) कम्पनियां अपनी सुविधा अनुसार ही तय करती हैं। निजी कंपनियों द्वारा निर्धारित यह वेतन बिजली बोर्ड व निगमों के कर्मचारियों को मिल रहे वेतन से बहुत कम होता है। इन विद्युत कम्पनियों के लिए सरकार ने वेतन तय करने के संदर्भ में न तो कोई कानून-नियम बनाए हैं और न ही किसी आयोग का गठन किया है जिससे मजदूरों का भारी शोषण हो रहा है। सरकारी व निजी पनविद्युत परियोजनाओं में मिल रहे वेतन में भारी अंतर है।